शुक्रवार, 13 अप्रैल 2018

पिर्यसिंग आर्ट


                            पिर्यसिंग आर्ट 


    आज के इस फैशनपरास्‍ती युग में जहॉ हम सभी उपग्रह संस्‍कृतियों की वजह से , हम सभी विश्‍व प्रचलित नये नये फैशन से जुड चुके है । आज का युवा वर्ग दुनिया की भीड में एक अलग पहचान बनाना चाहता है । खॉस कर महिलायें इस भीड में सबसे आगे है , नया फैशन हो या शरीर में बदलाओं इसमें युवा महिलायें सबसे आगे है । भारत ही नही बल्‍की दुनिया के हर कोने में नाक कान को छिदवा कर उसमें ज्‍वैलरी पहनने का प्रचलन हर धर्म जाति एंव सम्‍प्रदायों में सदियों से होता आया है । परन्‍तु आज के इस फैशन के दौर में शरीर के आकृषक अंगों को छिदवाकर उसमें बोल्‍ड ज्‍वैलरी पहनने का प्रचलन तेजी से बढता जा रहा है । शरीर के आकृषक कामनीय अंगों को छेद कर उसमें बोल्‍ड ज्‍वैलरी पहनाने की इस कला को ही पिर्यसिंग कहॉ जाता है , वैसे तो पिर्यसिंग का अर्थ है, शरीर को छेदना । पिर्यसिंग विशषकर नाक, कान, भौ ठोडी , नाभी , पेट के कुछ भाग , ओठों आदि पर, विशेष तौर से प्रचलन में है । परन्‍तु अब नाभी पिर्यसिंग का प्रचलन युवा महिलाओं में तेजी से बढता जा रहा है । इसका प्रमुख कारण यह है कि नाभी स्‍त्रीयों का सबसे आकृषक अंग है । नाभी का प्रर्दशन किसी भी समाज में वर्जित नही है । नाभी शरीर का एक ऐसा आकृषक अंग है जिसमें स्‍त्रीय के शारीरिक कोमलता का आभास होता है , यदि इस आकृषक अंग में श्रृंगार किया जाये तो वह अत्‍याधिक कामनीय दिखने लगती है । नेवल पिर्यसिंग या नाभी पिर्यसिंग को आसानी से एक दो दिन के प्रशिक्षण उपरान्‍त सीखा जा सकता है , एंव अपने घर पर या अपने ब्‍यूटी पार्लस में इसका संचालन किया जा सकता है , इस व्‍यवसाय में अच्‍छी खॉसी आमदनी है तथा इसका व्‍यवसाय प्रारम्‍भ करते ही इसका नेटवर्क अपने आप बनने लगता है इसका प्रमुख कारण है कि इसके जानकारों का अभी व्‍याप्‍त अभाव है पिर्यसिंग की सुविधाये अभी तक केवल महानगरों में उपलब्‍ध है , परन्‍तु एक सर्वेक्षण के मुताबिक आने वाले समय में युवा वर्ग में शरीर के आकृषक अंगों में पिर्यसिंग कराने का प्रचलन तेजी से बढेगा एंव इस व्‍यवसाय में रोजगार की अपार संभावनाये है । पिर्यसिंग पार्लस को खोलने में पूंजी निवेश भी अधिक नही है , ऐसी महिलायें जो अपने गृह कार्यो से बचे हुऐ समय में स्‍वारोजगार करना चाहती है उनके लिये यह व्‍यवसाय किसी वरदान से कम नही है
पिर्यसिंग पार्लर हेतु आवश्‍यक सामग्री :- पिर्यसिंग पार्लर कही भी और कम से कम पूंजी निवेश कर प्रारम्‍भ किया जा सकता है , इस कार्य को स्‍थापित करने हेतु एक टेबिल , पिर्यसिंग हेतु विभिन्‍न प्रकार के फारसेप , विभिन्‍न प्रकार की (गेज) निडिल तथा स्‍प्रीट ,कार्टन ,ग्‍लोबस,तथा पिर्यसिंग ज्‍वैलरी, मसल्‍स को शून्‍य करने हेतु जायलोकेन स्‍प्रे या लोशन की आवश्‍यकता होती है इस पर कुल खर्च दस हजार से लेकर बीस हजार के मध्‍य है जो सभी वर्ग की पहूंच में है । अत: हम कह सकते है कि पिर्यसिंग पार्लर को प्रारम्‍भ करने में इतनी पूंजी निवेश होती है जो एक साधारण से साधारण व्‍यक्ति भी निवेश कर सकता है ।
पिर्यसिंग का उदेश्‍य:-  चूंकि पिर्यसिंग का उददेश्‍य शरीर के आकृषक अंगों को छेदा कर उसमें आधुनिक बोल्‍ड ज्‍वैलरी को पहनाना है , परन्‍तु शरीर को छेदने में जैसा कि आप सभी इस बात से अच्‍छी तरह से परिचित है कि शरीर के नाजुक अंगों को परम्‍परागत तरीके से छेदने में अत्‍याधिक र्दद होता है जैसा कि हर सम्‍प्रदाय व जातियों में बच्‍चीयों के नाक कान को छेद कर उसमें ज्‍वैलरी पहनाई जाती है परन्‍तु यह कार्य सामान्‍यत: सुनार की दुकानों में किया जाता है जिसमें सोनार किसी धारदार नुकीली वस्‍तु से (बिना किसी सुरक्षा के उपाय के ) नाक कान को छेद देता है इस प्रक्रिया में र्दद तो होता ही है कभी कभी रक्‍त स्‍श्राव भी अधिक होता है फिर कभी कभी धॉव पकते फूटते है कुल मिला कर इस परम्‍परागत पिर्यसिंग प्रक्रिया से जहॉ धॉव पकते फूटते है वही इंफेक्‍शन होने का भी खतरा बढ जाता है । वहीं पिर्यसिक पार्लर में इस प्रकार से शरीर के नाजुक अंगों को छेदा जाता है कि र्दद बिलकुल नही होता फिर छेदते समय पूर्ण चिकित्‍सकी सावधानीयॉ अपनाई जाता है ,जैसे इंफेक्‍शन न हो इसलिये हाथों में ग्‍लोब पहना जाता है इसके साथ छेदने वाली जगह को एन्‍टी वैक्‍टेरियल लोशन आदि से साफ किया जाता है
वही र्दद न हो इसलिये त्‍वचा व मसल्‍स पर जायलोकेन स्‍प्रे, लोशन या इंजेक्‍शन का उपयोग किया जाता है ।

पिर्यसिंग पार्लस का महत्‍व :- पिर्यसिंग पार्लर का महत्‍व इसलिये है चूंकि आज के इस फैशनेबिल युग में हर युवा वर्ग अपने आकृषक अंगों में पिर्यसिंग करा कर बोल्‍ड ज्‍वैलरी पहनना चाहता है इस लिये पिर्यसिग पार्लर का महत्‍व अधिक बढ गया है । इसका दूसरा कारण यह भी है कि हर सम्‍प्रदाय व जातियों में बच्‍चों के नाक कान छेदे जाती है परन्‍तु परम्‍परागत तरीके से नाक कान को छेदना सुरक्षित नही होता एंव इस प्रक्रिया में काफी र्दद होता है , परन्‍तु पिर्यसिंग पार्लर में एक तो पूर्ण चिकित्‍सकीय सुरक्षा के साथ शरीर के नाजुक अंगो में छेद किया जाता है एंव इस प्रक्रिया की सबसे बडी विशेषता यह है कि इसमें शरीर के नाजुक अंगों को छेदते समय र्दद बिलकुल नही होता क्‍योकि पिर्यसिंग पार्लर में त्‍वचा व मसल्‍स को शून्‍य कर दिया जाता है । इस लिये हर माता पिता चाहते है कि उनके बच्‍चों के नाक कान या शरीर के अन्‍य अंगों को छेदते समय र्दद न हो एक शरीर को छेदने की प्रक्रिया पूर्ण सुरक्षित तरीके से हो । शरीर के नाजुक अंगों को पिर्यसिंग पार्लर में किसी दक्ष एंव प्रशिक्षित व्‍यक्तियों द्वारा छेद कर उसमें ज्‍वैलरी पहनाई जाती है । ब्‍युटी पार्लस संचालिकाये यदि अपने पार्लस में पिर्यसिंग का कार्य संचालित करती है तो उनके पार्लर की आमदनी चार गुना अधिक बढ सकती है ।
नेवल पिर्यसिंग कैसे करे :-
चूंकि यहॉ पर हम नेवेल पिर्यसिंग या नाभी पिर्यसिंग की चर्चा कर रहे है । नाभी चूंकि शरीर का एक आकृषक अंग होने के साथ अत्‍यन्‍त संवेदनशील नाजुक अंग होता है अत: यहॉ पर छेद करते समय विशेष ध्‍यान रखना होता है साथ ही इस अंग पर एक बार ही छेद किया जाता है यदि गलती से गलत छेद हो गया तो हमेशा के लिये वहॉ पर धॉव का निशान बन जायेगा जो देखने में बहुत खराब तो दिखेगा ही एंव उसे दुबारा पिर्यसिंग कराना होगा इस लिये नेवल पिर्यसिंग करते समय सर्वप्रथम जिस स्‍थान पर पिर्यसिंग करना है उस स्‍थान का आवलोकन कर उस पर लैण्‍ड मार्किंग की जाती है ।  लैण्‍ड मार्किंग से पूर्व आप जितनी जगह पर पिर्यसिंग करना चाहते हो उस जगह को एंव उसके आस पास की जगह को पहले डिटोल सोप से फिर डिटोल लोशन से अच्‍छी तरह से साफ कर ले , इसके बाद उस जगह को पानी से धो कर साफ कर सूख जाने दे जब वह पूरी तरह से सूख जाये , यहॉ पर सर्व प्रथम आप को विशेष ध्‍यान देने की बात है वह यह कि आप नाभी पर बोल्‍ड ज्‍वैलरी को पहनाने के लिये नाभी पर छेद कर रहे है अत: आप को सर्वप्रथम नाभी की बनावट पर ध्‍यान देना होगा , जैसे यदि किसी की नाभी कम गहरी है या अधिक गहरी है या फिर कुछ लोगों की नाभी ऊपर को डण्‍टल की तरह से निकली हुई या सपाट है इन परस्थितियों में पिर्यसिंग करने से पूर्व आप को विशेष सावधानी बर्तनी होगी अन्‍यथा पिर्यसिंग का महत्‍व ही खत्‍म हो जातेगा । चूंकि विभिन्‍न व्‍यक्‍ितयों की नाभी की बनावट भी विभिन्‍न प्रकार की होती है एंव उस बनावट को ध्‍यान में रख कर ही पिर्यसिंग करना एक कला है । यहॉ पर हम विभिन्‍न प्रकार की नाभी बनावट के हिसाब से पिर्यसिंग के बारे में अलग अलग बतला रहे है । गहरी नाभी पर पिर्यसिंग आसानी से की जा सकती है परन्‍तु सकरी , कम गहरी ,डण्‍टल की तरह से बाहर को निकली नाभी पर पिर्यसिं करना कठिन कार्य के साथ बहुत सी सावधानीयॉ एंव इस प्रकार की नाभी पर पिर्यसिंग करने पर वह अंग आकृषक दिखना चाहिये अन्‍यथा पिर्यसिंग का महत्‍व नही रह जाता
1-गहरी नाभी में पिर्यसिग :- गहरी नाभी में पिर्यसिंग करना आसान है यह पिर्यसिंग दो प्रकार से होती है नाभी वृत के ऊपरी भाग में एंव उसके नीचे के भाग में परन्‍तु अधिकांश महिलाओं द्वारा नाभी वृत के उपरी भाग में ही पिर्यसिंग कराई जाती है । परन्‍तु कुछ महिलाये नाभी के उपरी एंव नीचले दोनो छोर पर पिर्यसिंग कराकर उसमें ज्‍वैलरी पहनती है । सर्वप्रथम हम आप को नाभी वृत के ऊपरी हिस्‍से में पिर्यसिंग करने की विधि बतला रहे है । सर्वप्रथम आप उपरोक्‍त प्रक्रिया को पूर्ण करने के पश्‍चात उस व्‍यक्ति को खडा कीजिये इसके पश्‍चात उसकी  नाभी के ऊपर की दीवार एंव नाभी के अन्‍दर की दीवार को ध्‍यान से देखिये तत्‍पश्‍त नाभी वृत के ऊपरी सतह एंव नाभी के अन्‍दर की सतह को होल फारशेप से दोनो छोर अर्थात नाभी के बाहर का छोर एंव नाभी के अन्‍दर के छोर को पकड कर फारशेप को बन्‍द कीजिये इसके बाद जैसे ही फारशेप के होल दोनो सतहों को जहॉ पर मिलाये वहॉ के दोनो फारशेप के छेद पर मार्क पेन से निशान बना दीजिये । फारसेप के अलग करे इसके बाद आप बनाये गये दोनो निशानों को देखिये यदि दोना निशान एक ही दिशा में है एंव छिद्र करने के बाद ज्‍वैलरी के पहनाने पर सीधी रेखा में है तो समक्षिये आप की मार्किंग ठीक है ,अब
आप पुन: फारशेप से निशान लगाये दोनो छोरो का पकडे एंव जहॉ पर आप ने निशान लगाये है उन्‍हे फारशेप के होल से मिलाते हुऐ फारशेप के दोनो होल से पिर्यसिंग निडिल जो ज्‍वैलरी के गेज यानी उसकी मोटई के हिसाब से होगी वैसे तो प्राय: 18 गेज या उससे भी अधिक के निडिल का प्रयोग किया जाता है परन्‍तु कोशिश यही करे की निडिल का गेज अधिक मोटा न हो नही तो र्दद अधिक होगा । अब आप को मार्क पेन से बनाये निशानों पर छेद करना है यह छेदने की प्रक्रिया नाभी के अन्‍दर की दीवार पर निडिल को रख कर एक ही क्षटके में इस प्रकार से छेद करे ताकि निडिल दूसरे छोर अर्थात नाभी के ऊपरी वृत के निशान पर निकले । जैसे ही नाभी की ऊपरी दीवार के निशान तक निडिल निकल आये तब आप के पास ज्‍वैलरी को पहनाने के दो तरीके है एक तो यह कि आप किसी औजार से निडिल के उस भाग को कॉट दीजिये जिसे पकड कर आप निडिल को धुसाते है अर्थात निडिल के नुकेले भाग को छोट कर उसके नीचे के भाग को जहॉ कैप लगा होता है परन्‍तु जब आप निडिल को कॉटे तो वह इस प्रकार से कॉटे ताकि उसे दुसरी तरफ से निकालने पर त्‍वचा न छिले यह अभ्‍यास से आसानी से बनने लगता है निडिल को कॉटने के बाद उसे निडिल के नुकेले भाग को बॉये हाथ से पकडे एंव दाये हाथ से ज्‍वैलरी के नुकेले भाग को निडिल के कटे भाग के होल में धुसा कर निडल को ज्‍वैलरी का प्रेशर एंव बाये हाथ से प्रेसर देते हुऐ निकालते जाये जैसे ही ज्‍वैलरी नाभी के निचली दिवार से होती हुई नाभी के ऊपरी दिवार तक आ जाये एंव पूरी तरह से उस पर बनी चूडियॉ दिखने लगे तब उसे आप पहले एक स्प्रिट में डुबे कार्टन से साफ करे फिर ज्‍वैलरी के नट नुमा भाग को उस चूडीयों पर धुमाते हुऐ कस दीजिये आप के नाभी पर ज्‍वैलरी पहनाने के प्रक्रिया यहॉ पर खत्‍म हो जाती है इसके बाद जहॉ तक संभव हो सके आप छेद किये उस भाग को डिटोल से अच्‍छी तरह से साफ कर दीजिये । दुसरी विधि यह है कि जब
आप ने दोनो छोरो को मिला कर छेद किया अब आप को निडिल के नुकीले भाग से ज्‍वैलरी के नुकीले भाग को धुसाते जाये एंव जिस प्रकार से आप ने पहले ज्‍वैलरी को नटनुमा भाग से धुमा कर कसा था उसी प्रकार से कस दीजिये । इसकी एक विधि और है उसमें ज्‍वैलरी एक सीधे खील की तरह होती है इस दोनो तरीके से नाभी के होल पर पहनाते है कुछ दिनों तक इसे लगे रहने दिया जाता है ताकि नाभी पर छेदा होल के धॉव भर जाये एंव स्‍थाई छिद्र बन जाये फिर इसमें जिस प्रकार की ज्‍वैलरी आप पहनना चाहे या पहनाना चाहे आसानी से पहना सकते है इस कील नुमा ज्‍वैलरी का उददेश्‍य ही यही होता है कि छेद्र वा होल स्‍थाई रूप से बन जाये ताकि इस होल में किसी भी प्रकार की ज्‍वैलरी कभी भी पहनाई जा सके । नेवल पिर्यसिंग एक कला है जो अभ्‍यास से आती है आपने जिस प्रकार से नेवल के नीचे से पियसिंग किया है आप चाहे तो ऊपरी दीवार से नाभी के अन्‍दर के भाग पर भी छेद कर सकते है परन्‍तु इसमें ध्‍यान या सुरक्षा यह रखना होती है कि निडिल का नुकीला भाग नाभी की दूसरी दीवार में न धुंस जाये इस लिये निडिल के नुकीले भाग पर कुछ लोग एक कार्क लगा देते है ताकि नुकीला भाग चुभे न ।

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