गुरुवार, 6 दिसंबर 2018

नाभी सुखानुभूति उपचार


                       नाभी सुखानुभूति उपचार



सुखानुभूति उपचार से मानसिक रोगों का उपचार :- चीन व जापान एंव अब तो यह कहने में किसी प्रकार का संकोच नही है कि संमृद्धशाली राष्‍ट्रों में सुखानुभूति उपचार ने अपने सफलता के झंडे गांणने शुरू कर दिये है । सुख के अनुभव से कई प्रकार के मानसिक रोगों का उपचार किया जा सकता है , जिसमें पागलपन, हिस्‍टीरिया, मिरगी, तनाव, हत्‍या,या आत्‍महत्‍या का विचार, फोबिया ,आदि से लेकर अब तो शारीरिक बीमारीयों का उपचार भी किया जाने लगा है एंव इसके आशानुरूप परिणाम भी सामने आ रहे है । सुख के अनुभव से हमारे शरीर में सेरोटोनिन एंव डोपामाइन हार्मोस सक्रिय होते है, इससे हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है । अब सवाल उठता है कि सुखानुभूति उपचार कैसे किया जाये । मनोवैज्ञानिकों ने पाया कि हमारे शरीर की छोटी से छोटी कोशिकाओं में सुख की अनुभूति को ग्रहण करने की क्षमता है ,इस ग्रहण किये जाने वाली अनुभूति को वह मस्तिक को भेजता है । जिससे भावनात्‍मक हार्मोंस सेरोटोनिन एंव डोपामाइन सक्रिय हो जाते है । इस उपचार प्रक्रिया में शरीर के सबसे संवेदन शील हिस्‍से को सहलाया जाता है जिसमें प्रमुख रूप से नाभी है क्‍योकि नाभी में 72000 नाडीयों का केन्‍द्रक पाया जाता है । इस छोटी सी नाभी को सहलान के लिये किसी बारीक बस्‍तु का प्रयोग किया जाता है एंव पूरे पेट पर पक्षियो के पंख से सहलाया जाता है  । जापान व चीन में पक्षियों के पंख एंव पेंसिल जैसी नुकीली वस्‍तु को धीरे धीर महिन स्‍पर्श कराया जाता है तथा रोगी को ऑख बन्‍द कर सोने का आदेश दिया जाता है रोगी नाभी के अन्‍दर हो रहे स्‍पर्श की संवेदना को महशूस करता है एंव उसे सुख की अनुभूति होती है भावनात्‍मक हार्मोस के सक्रिय होते ही वह आनन्‍द में खोता चला जाता है । मानसिक रोगीयों में जो मानसिकता उसके मस्तिष्‍क में स्‍टोर होती है (जिसकी वजह से वह मानसिक रोग का शिकार हुआ है) वह इस सुखानुभूति की वजह से धीरे धीरे लुप्‍त होने लगती है । इस आनन्‍द की अनुभूति पुराने स्‍टोर को खत्‍म कर देती है एंव नई इस आनन्‍द की अनुभूति उसके मस्तिष्‍क में स्‍टोर हो जाती है, इससे उसके शरीर मे एक तो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ जाती है । वह इस उपचार के बाद अपने आप को स्‍फूर्तिवान , तरोताजा महसूस करने लगता है । पहले उसे जो शिकायेते थी जैसे तनाव ,भूख न लगना ,चिडचिडापन , किसी भी प्रकार का डर , हिस्‍टीरिया ,मिर्गी ,पागलपन ,हत्‍या या आत्‍महत्‍या का विचार , कामचोरी की प्रवृति , याददास्‍त का कम होना ,आदि में इस उपचार से काफी लाभ होता है ।


मानसिक बीमारीयॉ ही नही बल्‍की शारीरिक कई प्रकार की बीमारीयों में इसके बडे ही अच्‍छे परिणाम देखने को मिल रहे है । इस उपचार को नाभी संवेदना उपचार भी कहॉ जाता है ।

नाभी जड से सौन्द्धर्य समस्याओं का निदान :- नाभी पर पाई जाने वाली जड से समस् प्रकार के सौन्द्धर्य समस्याओं का उपचार सफलता पूर्वक बिना किसी दवा दारू के किया जा रहा है और इसके बडे ही अच्छे एंव सुखद परिणाम भी सामने रहे है नाभी की जड याने नाभी के अन्‍दर गहराई में परिक्षण करने पर एक नलिका का आभास होता है यही है नाभी जड ।
नाभी जड का परिक्षण:- नाभी जड, नाभी के अन्‍दर पाई जाती है, इसकी पहचान इस प्रकार से करते है, जिसकी नाभी की जड का परिक्षण करना हो उसे सीधा स्‍टूल पर बैठा दे इसके बाद नाभी से ऊपर अपने दाहने हाथ को इस प्रकार रखे की चारों अंगूलिया नाभी से दो या तीन इंच की दुरी पर हो एंव अंगूठा नाभी के नीचे दो या तीन इंच की दूरी पर हो अब अपनी हथेली को प्रेशर देने हुऐ इस प्रकार दबाये कि नाभी अंगुलियों के बीच में रहे एंव आप के पंचे नाभी के नीचे बाली जगह को इस प्रकार से दबाये जिससे आप की अंगुली और अंगूठा जिस स्‍थान पर मिलेगा वहॉ पर दबाने पर आप को किसी ऐसी वस्‍तु का आभास होगा जैसा कि वह स्‍थान नाभी से जुडी हुई है इसे ही नाभी जड कहते है ।

चीन ,जापान , मिस्‍त्र ,मियामी एंव ऐसे कुछ राष्‍ट्र या जहॉ सौन्‍द्धर्य ही सब कुछ है , वहॉ विशेषकर युवा महिलाओं में सौन्‍द्धर्य समस्‍याओं का उपचार नाभि जड से ही किया जाता  है और यह उपचार बडे बडे मिसाज पार्लर या ब्‍युटी क्‍लीनिक या नीशेप क्‍लीनिक ,ची नी शॉग क्‍लीनिक के साथ बडे बडे फाईव स्‍टार होटलों में उपलब्‍ध है । इसके बडे ही आश्‍चर्यजनक आशानुरूप परिणामों ने इसे खॉस कर महिलाओं को इस उपचार की तरफ आकृषित किया है । चूंकि महिलाओं में सौन्‍द्धर्य के प्रति विशेष आकृषण होता है  । महिलाओं में कई प्रकार की समस्‍यायें होती है, जिससे उनका सौर्न्‍दय नष्‍ट ही नही हो जाता, बल्‍की वे एक हीन भावना का शिकार भी हो जाती है । जैसे एक निश्चित उम्र के बाद यदि स्‍त्रीयों के स्‍त्रीसुलभ अंगों का विकाश न हो तो आप कल्‍पना करे कि वह महिला कैसी दिखेगी । इसे थोडा सा और स्‍पष्‍ट करने की आवश्‍यकता है स्‍त्री सुलभ अंग से तात्‍पर्य उसके ऐसे अंग जो उसे पूर्ण स्‍त्रीत्‍व प्रदान करे , शरीर के आकार प्रकार उसके उतार चढाव आदि जैसे स्‍तन एंव कूल्‍हे का उम्र के हिसाब पूर्ण विकसित होना कमर पतली पेट मसल्‍स युक्‍त झील की तरह से जिसमें गहरी आकृषक नाभी हो जो किसी भॅवर कि तरह से दिखे । रंग गोरा ऑखों में चमक घने लम्‍बे बाल एक स्‍त्री को पूर्ण यौवन (कामनीयता जिसे सैक्‍सी , या हॉट कहते है) प्रदान करते है ।


सौन्‍द्धर्य सम्‍बधित समस्‍याओं का निदान नाभी चिकित्‍सा से :-सौन्‍द्धर्य सम्‍बधित बहुत सी समस्‍याओं का उपचार नाभी जड एंव नाभी चिकित्‍सा से बिना किसी बडे परिक्षणों एंव दवा दारू के घर पर ही किया जा सकता है । आवश्‍यकता है नाभी चिकित्‍सा को समक्षने की जो इसके अध्‍ययन से आसानी से समक्षा जा सकता है कुछ तकनीकी समस्‍याये यदि है तो उसका निदान इस चिकित्‍सा के ज्ञाता से प्रेक्टिकल अभ्‍यास लिया जा सकता है वैसे इसके आडियों वीडियों नेट पर उपलब्‍ध है एंव हमारे प्राय:प्राय: प्रत्‍येक लेखों के साथ इनके जानकारीयों की साईड दी होती है उससे भी आप जानकारीयॉ हॉसिल कर सकते है ।
1- त्‍वचा मुलायम चमकदार गोरी बनाने के लिये :- त्‍वचा को गोरी मुलायम स्निग्‍ध बनाने की कई विधियॉ प्रचलन में है एंव इसके बडे ही अच्‍छे परिणाम में सामने आये है । परन्‍तु यहॉ पर नाभी चिकित्‍सा के उपचार की चर्चा चल रही है इसलिये हम इसी विषय पर चर्चा करते है त्‍वचा को मुलायम चमकदार गोरी बनाने के लिये सुखानुभूति उपचार लिया जा सकता है इससे आप के त्‍वचा के सैल्‍स एंव संसूचना प्रणाली के साथ आप की प्रतिरोधक क्षमता बढेगी प्रिरेडिकल्‍स एंव मृत कोशिकायें झड जाती है  उनकी जगह पर नई कोशिकायें बनने लगती है  मन प्रसन्‍न एंव तनाव कम होता , शरीर के रस रसायन संतुलित होने लगते है ।
(अ) बायवेटर से मिसाज लेना :- बायवेटर मशीन से पेट का मिसाज करना चाहिये यह मिसाज नाभी के चारो ओर गोल धुमाते हुऐ करते जाये एंव नाभी पर पॉच छै: मिनट बायवेटर मशीन को रोके इससे आप की ऑतों के मिसाज होने से रस रसायन का संतुलन तो ठीक होता ही है साथ ही आप के पेट पर शरीर के समस्‍त आंतरिक महत्‍वपूर्ण अंग होते है ,कई अंग जिनमें शामिल है संसूचना तंत्र जो कभी कभी सुसप्‍तावस्‍था में आने से निष्‍क्रिय हो जाते है । इस मिसाज से वे पुन: सक्रिय हो जाते है । इससे पाचन तंत्र तथा शरीर के अन्‍य आंतरिक अंग अपना कार्य सुचारू रूप से करने लगते है । इसका प्रभाव त्‍वचा व हमारे प्रत्‍येक सैल्‍क पर होता है ।

पी एच-7 (अम्‍ल एंव क्षार)


अम्‍ल एंव क्षार का पी एच-7 होने पर शारीर का रसायनिक संतुलन सही होता है ,पीएच-7 से अधिक होने पर क्षारीय एंव कम होने पर अम्‍बली होता है । अम्‍बलीयता के बढने पर त्‍वचा खुरदरी एंव रंग सावला होना शुरू हो जाता है अम्‍ल व क्षार की अधिकता या कमी का परिणाम शारीरिक रसायनिक घटकों में असमानता उत्‍पन्‍न तो करती ही है साथ ही अम्‍बली या क्षारीय माध्‍यमों में होने वाले वेक्‍टेरियाजनित बीमारीयों की संभावनाये बढ जाती है । क्षय रोग फेफडों के रोग व कैसर त्‍वचा खुरदरी उस पर दॉग धब्‍बे मुंहासे ब्‍लैक हैड त्‍वचा का रग काला होना जैसी बीमारीयों में शारीर में अम्‍ल का स्‍तर बढ जाता है
अम्‍लीयता क्षारीयता का परिक्षण :- नाभी मे जो गंध होती है अम्‍बलीय या खटटी ,इसके मैल की परत को निकाल कर उसे साफ पानी में घोलकर लिटमस पेपर पर डालने पर लिटमस पेपर का रंग नीला हो जाता है तो समक्षिये की आप का पी0 एच0 अम्‍बलीय है  
 क्षार के स्‍तर के अधिक बढने पर  कडुवी सी गंध आती है तथा इसकी परत का परिक्षण करने पर लिटमस पेपर लाल हो जाता है ।
जानकार नाभी चिकित्‍सक नाभी पर पाये जाने वाले इस मैल का परिक्षण विभिन्‍न विधियों से कर बीमारी का पता आसानी से लगा लेते है ।  जैसे यदि नाभी धारी के मध्‍य पीला रंग है तो उसे पित्‍त से सम्‍बन्धित बीमारीयॉ या फिर पीलियॉ जैसा रोग होगा , ठीक इसी प्रकार यदि नाभी धारीयों का रंग अत्‍यन्‍त लाल है तो उसे रक्‍त विकार की शिकायत हो सकती है । नाभी धारीयों के मध्‍य सफेद रग का होना वात रोग या नसों से सम्‍बन्धित बीमारीयों का दृशाता है । नाभी में खटटी गंध आने पर रोगी अपच तथा अम्‍ल्‍ा रोग का शिकार होता है  
विधि :- सर्वप्रथम पूरी त्‍वचा को स्प्रिट या अलकोहल के कॉर्टन से अच्‍छी तरह से साफ करे जैसे ही आप स्प्रिट या अलकोहल को त्‍वचा पर लगाते है आप की त्‍वचा एकदम ठंडी हो जायेगी एंव अलकोहल या स्प्रिट मृत कोशिकाओं को बाहर निकालने के लिये उत्‍तेजित करता है । इसके बाद यदि आप का पी0एच0 अम्‍बलीय है तो एक निब्‍बू के रस में खाने के सोडा लगभग एक चम्‍मच मिला कर उसे अच्‍छी तरह से घोल ले इसके बाद उसे हथेलीयों से पूरे शरीर में लगा कर छोड दीजिये । यदि आप का शरीर क्षारीय है तो आप खाने के सोडा का उपयोग न करे । इसे थोडी देर तक लगा रहने दे इसके बाद इसे पानी से धोकर इस प्रकार से निकाले ताकि खाने का सोडा पूरी तरह से साफ हो जाये । अब अन्‍तिम चरण में आप    शुद्ध ग्‍लीसरीन को पूरी त्‍वचा पर लगाना है । इसे भी थोडी देर के लिये लगा कर छोड दीजिये , इसके बाद आप गुलाब जल में थोडी सी हल्‍दी को मिलाकर उसका पेस्‍ट बनाये इस  पेस्‍ट में यह ध्‍यान रखे कि यह गीला अधिक होना चाहिये फिर इसे हथेली पर लेकर जहॉ जहॉ ग्‍लीसरीन लगाया था इस प्रकार से लगाते हुऐ धीरे धारे रगडते जाये इस प्रकार के रगडने से आप के शरीर से मैल की परते निकलती जायेगी । मृत्‍ा कोशिकाये निकलने से नयी कोशिकाओं को बनने के लिये रास्‍ता साफ हो जायेगा ।
इसे उपचार को आप ने मात्र तीन चार बार ही कर लिया तो आप स्‍वयम देख कर हैरान रह जायेगी कि आप की त्‍वचा मुलायम स्निग्‍ध चमकदार हो गयी है ।
अब गोरी त्‍वचा के लिये आप को ग्‍लीसरीन में बर्बेरिस अक्‍वाफोलियम दोनो बराबर मात्रा में मिला कर उपयोग करना है । या आप रात्री में पूरे शरीर में बर्बेरिस अक्‍वाफोलियम को पानी में मिला कर या ऐसे ही लगा सकती है साथ ही आप को नाभी में इसकी दो चार बूंदे इस प्रकार से लगाना है ताकि नाभी में यह दवा लम्‍बे समय तक बनी रहे इसलिये किसी कॉर्टन को भिगो कर भी इसका उपयोग कर सकते है । इसके कुछ दिनों को प्रयोग से आप देखेगे कि आप की त्‍वचा गोरी स्निग्‍ध मुलायम चमकदार हो जाती है ।
                       आवश्‍यक सूचना  
सौन्‍द्धर्य समस्‍याओं की जानकारी ,एंव नाभी चिकित्‍सा से सौन्‍द्धर्य उपचार की जानकारी हेतु आप इन साईड पर विजिट करे । इन साईड पर नि:शुल्‍क बहुत से कोर्स संचालित है । जिनमें प्रमुख रूप से नाभी चिकित्‍सा , ब्‍युटी क्‍लीनिक ,नीशेप क्‍लीनिक, ची नी शॉग उपचार , नेवल एक्‍युपंचर , कपिंग उपचार , पिर्यसिंग ,टैटू आर्ट, ब्‍यूटी पार्लर, सभी कोर्स ईमेल से होते है । प्रेक्टिकल वीडियो या फिर नगर में आसपास कही भी नि:शुल्‍क कैम्‍प आयोजित होते है उसमें छात्र को बुलाया जाता है । हमारे इस ईमेल पर भी आप हमसे जानकारीयॉ प्राप्‍त कर सकते है ।  battely2@gmail.com
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गुरुवार, 15 नवंबर 2018

नाभी की बनावट हिलमोजी साईस -1


                  नाभी की बनावट हिलमोजी साईस
विश्‍व प्रचलित अनेक चिकित्‍सा पद्धतियों में रोग परिक्षण के कई तरीके सदियों से अपनी उपयोगिता , वैज्ञानिक प्रमाण तथा मान्‍यताओं के कारण प्रचलन में रहे है । इनमें से एक है शारीरिक बनावट उनके अंगों के उनका आकार प्रकार तथा रंग शरीर पर निशान धारीयों की बनावट आदि ।
बीमारीयॉ हो या रोग आगमन शरीर में परिवर्तन सामान्‍य बात है जिसे चिकित्‍सक आसानी से पहचान जाते है । ठीक इसी प्रकार से जब कभी शरीर में कोई रोग होता है तो शरीर के कई अंगों में परिवर्तन देखा जाता है जैसे पीलिया होने पर नाखून व ऑख में पीलापन दिखलाई देता है । जैसे आयुर्वेद में वात पित कफ की बीमारीयों में जीभ के रंग के परिवर्तन से चिकित्‍सक उसकी बीमारी को पहचान लेते है आधुनिक चिकित्‍सक भी ऑखों के व जीभ नाखून के रंग में परिवर्तन से बहुत सी बीमारीयों को आसानी से पहचान लेते है । नाभी चिकित्‍सक सदियों से नाभी की बनावट उसके आकार प्रकार तथा नाभी पर पाई जाने वाली धारीयों व उसकी बनावट से कई प्रकार के रोगों को आसानी से पहचान लेते है , जापानीज,एंव चाईनीज प्राकृतिक चिकित्‍सा पद्धतियों में नाभी की धारीयों से रोगों का परिक्षण एंव भावी होने वाले रोग के विषय में जानकारीयॉ प्राप्‍त की जाती रही है , जो आधुनिक चिकित्‍सा विज्ञान के लिये एक पहेली बना हुआ है । सदियों से विश्‍व प्रचलित चिकित्‍सा पद्धतियों में नाभी के परिक्षण उसकी बनावट तथा धारीरयों के परिक्षण से रोगों का पता लगाया जाता रहा है ।
   Helum हिलम याने गढठा या छिद्र इसे hilus भी कहते है । यह शरीर में किसी धॉव या छेद की तरह से दिखलाई देती है अकसर इस प्रकार की नाभी गरीब तबके के व्‍यक्तियों में पाई जाती है ,
जिनकी शारीरिक बनावट दुबलापन लिये होता है , इस प्रकृति का मरीज  वात रोगी होता है इनका शरीर दुबला पतला होता है, शरीर दुर्बल होने पर भी ये लोग खाने पीने में आगे होते है । शारीरिक बनावट अकसर सामान्‍य होती है । इन्‍हे पेट से सम्‍बन्धित बीमारीयॉ कम ही होती है , परन्‍तु शारिरीक पीडाये तथा वात रोग के साथ बबासीर ,कैसर एंव दमा तथा टी बी जैसी बीमारीयों की चपेट में ये लोग आसानी से आ जाते है । इनका रहन सहन गंदा होता है अत: इन्‍हे त्‍वचा रोग खॉज खुजली अकसर होती है । इनकी मानसिक दशाये भी विचित्र हुआ करती है , रहन सहन गन्‍दा , एंव ये अल्‍प बुद्धी के होते है । पागलपन एंव मानसिक तनाव इन्‍हे अधिक होता है ।   
 Ridge रिजिस रिजिस या धारीयॉ जो शरीर में प्राय: हाथ पैरों पर पाई जाती है परन्‍तु यह शरीर के अन्‍य भागों में भी पाई जाती है । जिस प्रकार किसी भी मनुष्‍य के हाथ की धारीयॉ एक दूसरे से नही मिलती ठीक उसी प्रकार नाभी धारीयॉ भी किसी भी व्‍यक्यों में एक सी नही होती । नाभी धारीयों से कई प्रकार की
बीमारीयों के संकेत मिलते है , नाभी धारीयॉ जिस ओर बढती है उस तरफ के पेट पर पाये जाने वाले अंतरिक अंग प्रभावित होते है एंव उससे सम्‍बन्धित बीमारीयॉ होती है । यह शरीर में एक धारी से लेकर कई धारीयॉ पाई जाती एक धारियों को पहचान कर बीमारी का पता लगाना आसान होता है परन्‍तु दो से अधिक धारियों के पाये जाने पर बीमारीयों को पचानना कठिन होता है । इस प्रकार की धारीयों की पहचान जों धारिया गहरी होती है वही वर्तमान रोग को र्दशाती है तथा कम गहरी धारीयॉ नये व कम गंभीर रोग को र्दशाते है । नाभी धारीयों के मध्‍य रंग के परिक्षण से भी बीमारीयों का अनुमान लगाया जाता है , तथा नाभी धारीयों के मध्‍य पाई जाने वाली गंध से भी कई प्रकार की बीमारीयों का अनुमान लगाते है
 Helix हिलेक्‍स इसकी बनावट पेचदार या धुमती हुई आकृति की होती है । Apex शीर्ष अपेक्‍स की बनावट नोक के समान या शीर्ष की तरह से उठी हुई होती है । इस तरह की नाभी  डण्‍टल की तरह ऊपर को निकली हुई होती है , यह प्राय: गरीब तबके के व्‍यक्तियों में पाई जाती है ऐसे व्‍यक्ति प्राय: देखने में असुन्‍दर तथा स्‍वार्थी प्रवृति के होते है गंदगी पसंद होने के कारण इनका स्‍वाभाव भी निम्‍न स्‍तरीय होता है । इन्‍हे प्राय: श्‍वास तथा हिदय रोग व त्‍वचा रोग पाचन दोष के साथ अकस्मिक घातक रोग हुआ करते है
Umbo गाठ यह प्राय: गाठों की तरह की अकृति की होती है । इस प्रकार की नाभी गहरी न हो कर उपर निकली हुई गाठ की तरह से दिखती है । जितनी भी नाभीयों की बनावट में ऊपर को उठी हुई नाभीयॉ होती है सभी असमान्‍य होती है एंव इन्‍हे गंदगी पसंद होने के कारण त्‍वचा रोग, मानसिक रोग, तनाव,पेट से सम्‍बन्धित बीमारीयॉ अधिक होती है । इस के विपरीत यदि नाभी गहरी है तो व्‍यक्ति सुन्‍दर स्‍वक्‍क्षता में ध्‍यान रखने वाला तथा उसे चर्मरोग आदि कम ही होते है जितनी नाभी गहीरी होती है व्‍याक्ति उतना दीर्ध जीवी एंव स्‍वस्‍थ्‍य होता है ।
Nodeगाठ यह भी  Umbo की तरह फूला हुआ भाग होता है । इस प्रकार की नाभी वाले व्‍यक्ति Umbo की ही तरह होते है

Arch धूमती हुई आकृति शरीर का कोई भी गाठ या छेद्र प्राय: जो धुमाव लिये हुऐ आकृति का होता है उसे आर्च कहते है । इस प्रकार की नाभी अपनी बनावट के कारण व्‍यक्तियों के स्‍वाभाव तथा उसके आकार के अनुसार रोग को र्दशाते है इसके परिक्षण में काफी सावधानी की आवश्‍यकता होती है । आर्च के धुमते भाग का जहॉ पर अन्‍त होता है एंव वह पेट के जिस अंतरिक अंग की तरफ इसारा करता है व्‍यक्ति को उसी अंग से सम्‍बन्धित बीमारीयॉ हुआ करती है । आर्च आकृति यदि गहराई की तरफ है तो गहरी नाभी के जो लक्षण होते है वही इसमें भी पाये जाते है ठीक इसी प्रकार ऊपर को उठती हुई आर्च आकृति है तो ऊपर को उठी नाभी के जो लक्षण होगे वही लक्षण इसमें पाये जायेगे ।
Deep डीप या गहराई ऐसी नाभी जो किसी गडडे की तरह से गहरी होती है उसे डीप या गहरी नाभी कहते है । इस प्रकार की नाभी प्राय: सुन्‍दर स्‍त्री पुरूषों में होती है गहरी नाभी के व्‍यक्ति प्राय:
बीमार तो कम पडते है परन्‍तु ये अत्‍यन्‍त संवेदनशील होने के कारण छोटी से छोटी बीमारीयों को बढ चढ कर बतलाते है । प्राय: ऐसे व्‍यक्ति अपनी बीमारी के प्रति तो सर्तक रहते है परन्‍तु स्‍वास्‍थ्‍य रहने हेतु जो उपाय करना है उसे नही करते । इन्‍हे अकसर हिदय रोग ,गैस की बीमारी , हुआ करती है परन्‍तु इसका निर्णय नाभी की गहराई के साथ उस पर पाई जाने वाली धारीयों व रेखाओं व  उसकी बनावट से भी किया      जाता है ।
आई शेप( ऑखों की आकृति ):- इस प्रकार की नाभी अधिक गहरी नही होती परन्‍तु इसकी आकृति को ध्‍यान से देखने पर ऐसा लगता है जैसे
ऑखों का आकार हो । इस प्रकार ऑखों की अकृति वाली नाभी भी दो प्रकार की होती है । एक में ऑखों के आकार के अन्‍दर धारीयॉ स्‍पष्‍ट रूप से दिखलाई देती है तो दूसरे प्रकार की नाभी में धारीयॉ नही दिखती इस प्रकार की नाभी गहरी होती है ।
          






 :-पेट पर पाये जाने वाले अंतरिक अंग :-
पेट पर पाये जाने वाले अंतरिक अंगों की स्थिति का चित्र देखिये एंव वर्णप हेतु ची नी शॉग उपचार का अध्‍ययन कीजिये ।












नाभी संवेदना उपचार


                           नाभी संवेदना उपचार
 
सुखानुभूति उपचार से मानसिक रोगों का उपचार :- चीन व जापान एंव अब तो यह कहने में किसी प्रकार का संकोच नही है कि संमृद्धशाली राष्‍ट्रों में सुखानुभूति उपचार काफी फल फूल रहा है । सुख के अनुभव से कई प्रकार के मानसिक रोगों का उपचार किया जा सकता है जिसमें पागलपन, हिस्‍टीरिया, मिरगी, तनाव, हत्‍या,या आत्‍महत्‍या का विचार, फोबिया ,आदि से लेकर अब तो शारीरिक बीमारीयों का उपचार भी किया जाने लगा है एंव इसके आशानुरूप परिणाम भी सामने आ रहे है । सुख के अनुभव से हमारे शरीर में सेरोटोनिन एंव डोपामाइन हार्मोस सक्रिय होते है, इससे हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है ।अब सवाल उठता है कि सुखानुभूति उपचार कैसे किया जाये । मनोवैज्ञानिकों ने पाया कि हमारे शरीर की छोटी से छोटी कोशिकाओं में सुख की अनुभूति को ग्रहण करने की क्षमता है ,इस ग्रहण किये जाने वाली अनुभूति को वह मस्तिक को भेजता है । जिससे भावनात्‍मक हार्मोंस सेरोटोनिन एंव डोपामाइन सक्रिय हो जाते है । इस उपचार प्रक्रिया में शरीर के सबसे संवेदन शील हिस्‍से को सहलाया जाता है जिसमें प्रमुख रूप से नाभी है क्‍योकि नाभी में 72000 नाडीयों का केन्‍द्रक पाया जाता है । इस छोटी सी नाभी को सहलान के लिये किसी बारीक बस्‍तु का प्रयोग किया जाता है एंव पूरे पेट पर पक्षियो के पंख से सहलाया जाता है  । जापान व चीन में पक्षियों के पंख एंव पेंसिल जैसी नुकीली वस्‍तु को धीरे धीर महिन स्‍पर्श कराया जाता है तथा रोगी को ऑख बन्‍द कर सोने का आदेश दिया जाता है रोगी नाभी के अन्‍दर हो रहे स्‍पर्श की संवेदना को महशूस करता है एंव उसे सुख की अनुभूति होती है भावनात्‍मक हार्मोस के सक्रिय होते ही वह अनन्‍द में खोता चला जाता है । मानसिक रोगीयो में जो मानसिकता उसके मस्तिष्‍क में स्‍टोर होती है वह इस सुखानुभूति की वजह से धीरे धीरे लुप्‍त होने लगती है । इस आनन्‍द की अनुभूति पुराने स्‍टोर को खत्‍म कर देती है एंव नयी इस आनन्‍द की अनुभूति उसके मस्तिष्‍क में स्‍टोर हो जाती है इससे उसके शरीर मे एक तो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ जाती है । वह इस उपचार के बाद अपने आप को स्‍फूर्तिवान , तरोताजा महसूस करने लगता है । पहले उसे जो शिकायेते थी जैसे तनाव ,भूख न लगना ,चिडचिडापन , किसी भी प्रकार का डर , हिस्‍टीरिया ,मिर्गी ,पागलपन ,हत्‍या या आत्‍महत्‍या का विचार , कामचोरी की प्रवृति , याददास्‍त का कम होना ,आदि में इस उपचार से काफी लाभ होता है ।
मानसिक बीमारीयॉ ही नही बल्‍की शारीरिक कई प्रकार की बीमारीयों में इसके बडे ही अच्‍छे परिणाम देखने को मिल रहे है । इस उपचार को नाभी संवेदना उपचार भी कहॉ जाता है ।    
H:\BC-वर्ष 2018-19\N- Chikitsa\N-चिकित्‍सा\N-SuKhnubhuti Upchar Osho.doc


व्‍यर्थ सी दिखने वाली नाभी का महत्‍व


                 व्‍यर्थ सी दिखने वाली नाभी का महत्‍व
  आज मुख्‍यधारा की मॅहगी चिकित्‍सा उपचार के भंवरजाल से परेशान जन सामान्‍य एक ऐसी प्राकृतिक उपचार विधि की शरण में जा रहा है जिसे हम सभी  नाभी चिकित्‍सा के नाम से जानते है इसकी उपयोगिता एंव आशानुरूप परिणामों ने इसे  विश्‍व के हर कोने में चर्चा का विषय बना दिया है । परन्‍तु नाभी चिकित्‍सा हमारे देश की धरोहर है इसके महत्‍व को हम न समक्ष सके परन्‍तु विदेशी बौद्य भिक्षु ने इसके महत्‍व को समक्षा बिना दवा दारू के प्राकृतिक तरीके से रोगों को पहचानना ,एंव उपचार के आशनुरूप परिणामों ने इसे जापान व चीन में ची नी शॉग उपचार के नाम से स्‍थापित किया । नाभी चिकित्‍सा विश्‍व के हर कोने में किसी न किसी नाम से प्रचलन में है ।
    मानव शरीर में व्‍यर्थ सी दिखने वाली नाभी , हमारे रोज मर्ज के बोल चाल की भाषा में कई बार ना भी शब्‍द का उपयोग होते हुऐ भी, इस शब्‍द का महत्‍व उसी तरह से लुप्‍त प्राय: है जैसा कि हमारे शरीर में व्‍यर्थ सी दिखने वाली नाभी का है । नाभी ना अर्थात नही , भी अर्थात हॉ के सम्‍बोधन से मिलकर बना एक ऐसा शब्‍द है जिसका अर्थ ना और हॉ मे होता है ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार से नाभी हमारे शरीर का एक महत्‍वपूर्ण अंग होते हुऐ भी जन सामान्‍य इसे अनुपयोगी समक्षता है ऐसे व्‍यक्ति इसके प्रथम अक्षर ना का प्रतिनिधित्‍व करने वाले है । इसके दूसरे अक्षर भी अर्थात हॉ के सम्‍बोधन का प्रतिनिधित्‍व करने वाला समुदाय जिनकी संख्‍या अगुलियों पर गिनी जा सकती है इसके महत्‍व को समक्षता है । हम प्राय: अपने बोल चाल की भाषा में कहते है, ना भी जाओं तो चलेगा , ना भी हो तो चलेगा आदि आदि ऐसे वाक्‍य है जिसमें नाभी शब्‍द का कई बार उपयोग हम अंजाने में कर जाते है परन्‍तु अंजाने में किये गये इस धारा प्रवाह वाक्‍य का कितना महत्‍व है इस पर कभी विचार ही नही किया जाता , ठीक इसी प्रकार से हमारे शरीर में दिखने वाली व्‍यर्थ सी नाभी को हम प्राय: महत्‍व नही देते जबकि आज मुख्‍यधारा की चिकित्‍सा पद्धतियों के नये शोध व परिक्षणों ने यह बात सिद्ध कर दी है कि स्‍टैम्‍प सैल्‍स अर्थात नाभी की कोशिकाओं से कई असाध्‍य से असाध्‍य बीमारीयों का उपचार किया जा सकता है चिकित्‍सा विज्ञान का माना है कि बच्‍चे का जन्‍म इन्‍ही स्‍टैम्‍म सैल्‍स से होता है इन स्‍टम्‍म सैल्‍स के पास शरीर के विभिन्‍न अंगों के निर्माण की सूचना संगृहित होती है एंव ये छोटी से छोटी कोशिकाये अपनी संसूचना के अनुरूप शरीर के विभिन्‍न अंगों का निर्माण करती है । जैसे कोई हडियों का सैल्‍स है तो उसे हडियों का निर्माण करना है यदि किसी सेल्‍स के पास यह जानकारी है कि उसे शरीर का कोई विशिष्‍ट अंग का निर्माण करना है तो वह उसी अंग का निर्माण करेगा ।
  सदियों पूर्व से हमारे भारतवर्ष में परम्‍परागत उपचार विधियों में , नाभी से उपचार की कई बाते देखने को मिल जाती है परन्‍तु दु:ख तो इस बात का है कि ऐसी जानकारीयॉ एक जगह पर संगृहित नही है चंद जानकार व्‍यक्तियों ने इसे अपने धन और यश का साधन बना रखा था एंव उनके जाने के बाद यह जानकारी उनके साथ चली गयी । यहॉ पर मै कुछ उदाहरणों पर प्रकाश डालना चाहूंगा जो इसके महत्‍व को र्दशाते है । जैसे ओठों के फटने पर हमारे बडे बुर्जुग कहॉ करते थे नाभी पर सरसों का तेल लगा लो इससे ओठ नही फटेगे , पेशाब का न होने पर नाभी में चूहे की लेडी लगाने से पेशाब उतर जाती है , गर्भवति महिला को प्रशव में अधिक पीडा होने पर दाई अधाझारे की जड नाभी पर लगा देती थी , इससे प्रसव आसानी से बिना किसी तकलीफ के हो जाया करता था , ऐसे और भी कई उदाहरण हमे देखने को मिल जाते है । इसी प्रकार का एक उदाहरण और है जिसका प्रयोग चीन व जापान की परम्‍परागत उपचार विधि में सौन्‍र्द्धय समस्‍याओ के निदान में‍ किया जा रहा है इसमें नाभी के अन्‍दर जमा मैल को रेक्‍टीफाईड स्‍प्रीट में निकाल कर इसका प्रयोग उसी मरीज की त्‍वचा पर करने से त्‍वचा स्निंग्‍ध मुलायम चमकदार हो जाती है साथ ही शरीर पर झुर्रीयॉ व त्‍वचा के दॉग धब्‍बे ठीक हो जाते है ,उनका कहना है कि इसके नियमित प्रयोग से त्‍वचा में निखार के साथ रंग साफ गोरा होने लगता है । खैर जो भी हो, नाभी के महत्‍व को नकारा नही जा सकता । हमारे प्राचीन आयुर्वेद चिकित्‍सा पद्धति में कहॉ गया है कि नाभी पर 72000 नाडीयॉ होती है । नाभी पर मणीपूरण चक्र पाया जाता है इसकी साधना से असीम शक्तियॉ प्राप्‍त की जा सकती । नाभी चिकित्‍सा हमारे देश की धरोहर थी, परन्‍तु इसे हम सम्‍हाल न सके , मुख्‍यधारा की चिकित्‍सा पद्धतियों ने तो इसे अवैज्ञानिक एंव तर्कहीन कहॉ परन्‍तु , हमारा पढा लिखा सभ्‍य समाज जो पश्चिमोन्‍मुखी विचारधारा के अंधानुकरण का अनुयायी था उसने भी बिना इसकी उपयोगीता को परखे इसे महत्‍वहीन कहना प्रारम्‍भ कर दिया । इसी का परिणाम है कि आज मुख्‍यधारा की चिकित्‍सा पद्धतियों के भवर जाल में उलझ कर मरीज इतना भ्रमित हो चुका है कि उसे यह समक्ष में नही आता कि उपचार हेतु किस चिकित्‍सा की शरण में जाये । पश्चिमोन्‍मुखी विचारधारा के अंधानुकरण ने कई जनोपयोगी, उपचार विद्याओं को अहत ही नही किया बल्‍की उनके अस्तित्‍व को भी खतरे में डाल रखा है । स्‍वस्‍थ्‍य, दीर्ध,आरोग्‍य जीवन एंव रोग उपचार हेतु सदियों से चली आ रही उपचार विद्याओं का सहारा लिया जाता रहा है और इसके सुखद एंव आशानुरूप परिणाम भी मिले है । परन्‍तु दु:ख इस बात का है कि इन उपयोगी उपचार विधियों पर न तो हमने कभी शोध कार्य किया न ही इसकी उपयोगिता को परखने का दु:साहस किया । नाभी उपचार प्रक्रिया से कई उपचार विधियों का सूत्रपात समय समय पर हुआ है जैसे चीन व जापान की एक ऐसी परम्‍परागत उपचार विधि है जिसमें बिना किसी दवादारू के मात्र नाभी एंव पेट के आंतरिक अंगों को प्रेशर देकर मिसाज कर उसे सक्रिय कर जटिल से जटिल रोगों का उपचार सफलतापूर्वक किया जा रहा है । इस उपचार विधि का नाम है ची नी शॉग उपचार यह उपचार विधि भी हमारे देश की नाभी चिकित्‍सा की देने है हमारे यहॉ नाभी परिक्षण कर टली हुई नाभी को यथास्‍थान लाकर उपचार किया जाता रहा है इस उपचार विधि में भी इसी सूत्र का पालन किसी न किसी रूप में किया जाता है अत: हम कह सकते है कि ची नी शॉग उपचार विधि हमारे देश की ही देन है जिसे जापान व चीन के भिझुओं ने समक्षा व इसे अपने साथ ले गये तथा एक नये नाम से इस उपचार विधि ने चीन व जापान में अपना एक अलग स्‍थान बनाया । ची नी शॉग उपचार विधि से रोग उपचार के साथ शरीर की सर्विसिंग भी की जाती है आज कल फाईब स्‍टार होटलो में पेट की जो मिसाज प्रक्रिया शरीर की सर्विसिंग व पेट को स्‍वस्‍थ्‍य रखने के लिये की जा रही है वह वह यही उपचार विधि है । ची नी शॉग पार्लर भी तेजी से खुलते जा रहे है । नाभी उपचार में नेवल एक्‍युपंचर एंव नेवल होम्‍योपंचर की भी एक अहम भूमिका है चूंकि एक्‍युपंचर चिकित्‍सा में संम्‍पूर्ण शरीर में हजारों की संख्‍या में एक्‍युपंचर पाईट पाये जाते है इन एक्‍युपंचर पाईट को खोजना उपचारकर्ता के समक्‍क्ष एक बडी समस्‍या होती है फिर शरीर के कुछ ऐसे नाजुक अंग जिन पर सूईया चुभाना कठिन कार्य है इसी प्रकार होम्‍योपैथिक में हजारों की संख्‍या में होम्‍योपैथिक की शक्तिकृत दवाये होती है जिसका निर्वाचन रोग लक्षणों के हिसाब से करना चिकित्‍सको के लिये कठिन कार्य होता है । होम्‍योपैथिक एंव एक्‍युपंचर की साझा चिकित्‍सा को होम्‍योपंचर उपचार कहते है । नेवेल एक्‍युपंचर चि‍कित्‍सा में नाभी के आस पास शरीर के सम्‍पूर्ण एक्‍युपंचर पाईट पाये जाते है इस लिये नेवेल एक्‍युपंचर में नाभी पर एंव नाभी के आसपास एक्‍युपंचर की बारीक सूईयों को चुभा कर उपचार किया जाता है इसे नेवेल एक्‍युपंचर उपचार कहते है यह एक्‍युपंचर चिकित्‍सा से काफी सरल एंव आशानुरूप परिणाम देने वाली उपचार विधि है । नेवेल होम्‍योपंचर चिकित्‍सा में नाभी एंव नाभी के आस पास डिस्‍पोजेबिल बारीक निडिल में होम्‍योपैथिक की कुछ गिनी चुनी दवाओं को निडिल में भर कर नाभी एंव नाभी के आस पास क्षेत्र में चुभा कर उपचार किया जाता है । नेवल एक्‍युपंचर हो या नेवल एक्‍युपंचर हो इस चिकित्‍सा पद्धति का मानना है कि नाभी पर सम्‍पूर्ण शरीर के पाईन्‍ट पाये जाते है जैसा कि हमारे आयुर्वेद में भी कहॉ गया है कि नाभी पर 72000 नाडीयॉ पाई जाती है इन 72000 नाडीयों का सम्‍बन्‍ध हमारे सम्‍पूर्ण शरीर से होता है । नेवल एक्‍युपंच में येन यॉग को आधार मानकर तीन चार दवाये बनाई गयी है जिनको डिपोजेबिल न‍िडिल में भर कर नाभी के धनात्‍मक .ऋणात्‍मक पाईन्‍ट पर चुभा कर जटिल से जटिल रोगों का उपचार सफलतापूर्वक किया जाता है । नेवल एक्‍युपंचर एंव नेवेल होम्‍योपंचर चिकित्‍सा एक सरल उपचार विधि है इस उपचार विधि से समस्‍त प्रकार के रोगो का उपचार आसानी से किया जाता है ।  
    नाभी चिकित्‍सा एंव ची नी शॉग उपचार, नेवेल एक्‍युपंचर ,नेवल होम्‍योपंचर से
1- सौन्‍द्धर्य समस्‍याओं का उपचार :- सौन्‍द्धर्य समस्‍याओं का उपचार जैसे पेट पर स्‍ट्रेचमार्क ,ब्‍लैक हैड , उम्र से पहले त्‍वचा पर झुरूरीयॉ , बालों का असमय सफेद होना या गिरना ,स्‍त्रीयों के स्‍त्रीय सुलभ अंगों का विकसित न होना , बौनापन , अत्‍याधिक दुबलापना ,अनावश्‍यक मोटापा ,स्‍त्रीयों के शरीर में अनावश्‍यक बालों का निकलना, त्‍वचा पर दॉग धब्‍बे, त्‍वचा पर झुरू आदि जैसे अनेको समस्‍याओं का उपचार इन चिकित्‍सा पद्धतियों से किया जा सकता है ।
2-शारीरिक रोग :- नाभी चिकित्‍सा एंव ची नी शॉग उपचार, नेवेल एक्‍युपंचर ,नेवल होम्‍योपंचर से पेट सम्‍बन्धित रोग, हिदय रोग,मिर्गी, हिस्‍टीरिया, दमा एंव श्‍वास रोग, कैंसर ,किडनी के रोग ,पथरी , गले के रोग ,तथा अन्‍य विकृति विज्ञान से सम्‍बन्धित समस्‍ये आदि के साथ समस्‍त प्रकार की बीमारीयों में यह उपचार विधि काफी उपयोगी है
 जो भी चिकित्‍सक इन चिकित्‍सा विधियों को सीखना चाहे वह हमारे ई मेल पर हमे सूचित कर सीख सकता है । इसकी सारी जानकारीयॉ हम नि:शुल्‍क मेल पर भेजते है इसका अध्‍ययन घर बैठे करने के पश्‍चात इसका प्रेक्टिकल प्रशिक्षण भी नि:शुल्‍क उपलब्‍ध कराया जाता है । अत: जो भी चिकित्‍सक नेवल एक्‍युपंचर या नेवल होम्‍योपंचर सीखने का इक्‍च्‍छुक हो वह हमारे मेल पर या जो साईड बतलाई गयी है उससे जानकारीयॉ प्राप्‍त कर सकता है । नाभी उपचार या ची नी शॉग चिकित्‍सा जो भी व्‍यक्ति सीखने का इक्‍च्‍छुक हो वह हमारे बतलाये मेल या साईड पर जा कर जानकारीयॉ प्राप्‍त कर सकता है ।
ई मेल- krishnsinghchandel@gmail.com
साईड- http://krishnsinghchandel.blogspot.in
http://beautyclinict.blogspot.in/
                                            








रविवार, 12 अगस्त 2018

Anubhaw


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  इस कालम के अर्न्‍तगत हम इस पैथी के उपचारो  के अनुभवों ,मरीजों व छात्रों के प्रयोगिक अनुभवों को शेयर करेगे ताकि छात्रों के साथ अन्‍य मरीजों को इसकी जानकारीयॉ हो सके । आप सभी से निवेदन है कि आप अपने उपचार व अनुभवों की जानकारी अपने पास पोर्ट साईज के फोटोंग्राफ के साथ समय समय पर भेजते रहे । हम अपने ब्‍लांग पर एंव छात्रों की पाठय सामग्री के साथ इसे समय समय पर प्रकाशित करते व भेजते रहेगे ।
                                                   
     मै आरती गुप्‍ता उम्र 45 वर्ष ( पटना विहार ) मुक्षे हमेक्षा सीने में र्दद बना रहता था । इसका उपचार हमने कई बडे बडे डॉ0 से कराया , कई प्रकार के टेस्‍ट हुऐ परन्‍तु कोई बीमारी नही निकली , कुछ डॉ0 ने कहॉ कि यह मानसिक तनाव की वजह से होता है । मैने हिदय रोग से लेकर मानसिक बीमारीयों तक का उपचार कराया परन्‍तु  कुछ लाभ नही हुआ ।
  एक दिन मेरे पडौसी ने बतलाया कि नाभी चिकित्‍सा एंव चीनी शॉग उपचार का निशुल्‍क कैम्‍प शहर में लगा है । आप वहॉ जाकर चैक करा ले । मै उस निशुल्‍क चिकित्‍सा कैम्‍प में गयी । पहले उन्‍होने मुक्षे नाभी स्‍पंदन विशेषज्ञ के पास भेजा , उन्‍होने मेरी नाभी का परिक्षण कर सारी बीमारी एंव कब से है मेरे बिना बतलाये सब बतला दिया । उन्‍होने ने बतलाया कि आप की नाभी स्‍पंदन के ऊपर खसक जाने की वजह से आप को हिदय में र्दद बना रहता है , इसी की वजह से कब्‍ज एंव भूख आदि नही लगती । इस उपचार के बाद उन्‍होने मुक्षे ची नी शॉग चिकित्‍सक के पास भेजा उन्‍होने मेरे पेट का परिक्षण कर  पूरी बीमारी बतला दी , मुक्षे अर्श्‍चय हुआ दोनों परिक्षणकर्ताओं ने बिना किसी रिर्पोट या जॉच कराये आसानी से पूरी बीमारी वो भी कब से है बतला दिया उन्‍होने कहॉ आप के पेट व जॉधों पर जो मोटापा है वह भी इसी वजह से है ,इसी की वजह से आप को मानसिक तनाव बना रहता है । सर्वप्रथम नाभी स्‍पंदन जो ऊपर की तरफ खिसक गया था , उसे उन्‍होने ठीक किया पेट पर एक्‍युप्रेशर की तरह से दबाब दिया ,पेट पर आयल मिसाज जैसा कुछ किया ,पेट पर विशेष प्रकार से थपकीयॉ ,तथा अंगुलियों से हल्‍का तो कभी गहरा बायवरेशन जैसे कुछ लगातार किया इससे मेरे पेट पर एक लहरे सी दौडने लगी पेट में हलचल जैसा कुछ महसूस होता रहा दस से पन्‍द्रह मिनट का उपचार दिया गया एंव मुक्षे इस प्रकार उपचार सुबह खाली पेट करने की सलाह दी , इस उपचार को कराने के बाद मै जैसे ही घर आई मुक्षे पतले दस्‍त हुऐ जिसमें काले रंग की लेट्रंग हुई , इसके बाद मुक्षे बडा ही हल्‍कापन महसूस हुआ ,पेट भरा भरा सा लगता था वह नही हुआ ,भूंख अच्‍छी लगी , रात्री में नीद भी अच्‍छी आई , अत: इस उपचार से पहले ही दिन मुक्षे कुछ कुछ फायदे नजर
 आने लगे । जैसाकि उन्‍होन कहॉ था कि मै सुबह खाली पेट अपनी नाभी स्‍पंदन का परिक्षण करू , तो मैने नाभी का परिक्षण किया ,नाभी पुन ऊपर की तरफ थोडी सी खिसकी थी, उनके बतलाये अनुसार मैने हल्‍का हल्‍का मिसाज कर उसे यथास्‍थान ले आई इसके बाद ची नी शॉग मिसाज जैसा उन्‍होन बतलाया था मैने किया । इस उपचार को करने से कुछ ही दिनों में मुक्ष काफी फायदा नजर आने लगा मुक्षे हिद्रय के र्दद में अराम है साथ ही कब्‍ज ,गैस की शिकायत भी दूर हो गयी ,मुक्षे अच्‍छी भूख लगने लगी है । इस उपचार को लेने से मेरा मानसिक तनाव भी कम होने लगा साथ ही एक सबसे बडा लाभ यह हुआ कि मेरे पेट व जॉध पर जो अनावश्‍यक चर्बी बढती जा रही थी जिसकी वजह से पेट काफी बडा होते जा रहा था दुसरा जॉध के मोटापे की बजह से मुक्षे चलने में परेशनी होती थी । इस उपचार से पेट व जॉध की चर्बी धीरे धीरे धटने लगी थी । यह उन्‍होने मुक्षे पहले ही बतला दिया था । उन्‍होने मुक्षे बतलाया कि यह एक प्राकृतिक उपचार है , इससे पेट व उसके आंतरिक अंग मजबुत हो जाते है । यह एक किस्‍म से पेट का व्‍यायाम है , इससे पूरे पेट के अंतरिक अंगों की सर्विसिंग हो जाती है । उन्‍होने माह दो माह में पूरे धर के सदस्‍यों  के नाभी स्‍पंदन एंव ची नी शॉग उपचार लेने की सलाह दी । इससे मेरी बच्‍ची जिसका मोटापा तेजी से बढता जा रहा था परन्‍तु उसकी लम्‍बाई व शरीर के अन्‍य अंगो का विकास नही हो रहा था । इसलिये मैने उसे भी यही उपचार देना प्रारम्‍भ कर दिया , साथ ही मैने जब उसकी नाभी स्‍पंदन का परिक्षण किया तो मुक्षे मालूम हुआ कि उसके नाभी का स्‍पंदन भी मेरी ही तरह से ऊपर की तरुफ खिसक गया था । जिसे मैने यथास्‍थान बैठाल दिया । इस उपचार से मेरी बच्‍ची का कुछ कुछ मोटापा भी कम हुआ  परन्‍तु एक खॉस फायदा यह हुआ कि इससे मेरी बच्‍ची का शारीरिक विकास होने लगा है मुक्षे उम्‍मीद है कि इससे मेरी बच्‍ची को भी पूरा लाभ मिलेगा ।

---अनुभव एंव समाधान कालम ---


                 ---अनुभव एंव समाधान कालम ---
इस कालम के अंर्तगत छात्रों ,मरीजो, तथा पाठकों की समस्‍याओं का समाधान किया जाता है । अत: अनुरोध है कि आप भी अपनी समस्‍याये ,अनुभव,आदि शेयर करना चाहते है तो प्रकाशनार्थ हमारे ईमेल battely2@gmail.com पर भेज सकते है या हमारे ब्‍लार्गस की साईड पर कमेन्‍ट कालम में उक्‍त समस्‍याये, अनुभव, तथा समाधान शेयर किया जा सकता है ।                          
          नये प्रश्‍न एंव समाधान नीचे जोडे जाते है               
  प्रश्‍न 1- मेरा नाम दिनेश पाठक है मेरी उम्र करीब 55 वर्ष की है,  रतलाम म0प्र0 का निवासी हूं मुक्षे नाभी स्‍पंदन से रोग निदान की जानकारी मिली । मुझे कई बीमारीयॉ कई वषों से थी ।  कई प्रकार के उपचार करा करा कर परेशान हो चुका था इस दरबयान मैने नेट पर नाभी स्‍पंदन से रोगों की पहचान एंव निदान नामक लेख पढा । दा एयुपंचर डब्‍लपमेंन्‍ट एण्‍ड रिसर्च मिशन की जानकारी मुक्षे मिली , मैने नाभी स्‍पंदन चिकित्‍सक की जानकारी चाही, तो उन्‍होने अपने स्‍थानीय चिकित्‍सक का पता दिया उन चिकित्‍सक का नाम डॉ0 के0बी0 सिह था जो मध्‍यप्रदेश सागर में रहते है । मै उनसे मिला एंव अपना उपचार कराया मेरी उन्‍होने नाभी स्‍पंदन का परिक्षण किया एंव पूरी बीमारीयॉ बिना किसी जॉच कराये बतला दी । इसके बाद उन्‍होने मुक्षे बतलाया कि आप का रस एंव रसायन का संयोजन बिगड चुका है , इससे आप को भूंख नही लगती, कब्‍ज रहता है ,गैस बनती है तथा जो भी आप खाते पीते है वह शरीर में नही लग रहा है ,इससे दुर्बलता बढती जा रही है साथ ही झुरूरीयॉ एंव बाल भी समय से पहले झडने लगे है , उन्‍होने नाभी स्‍पंदन को यथास्‍थान ला दिया एंव मुझे समक्षा दिया कि किस प्रकार से नाभी स्‍पंदन का परिक्षण मुंझे स्‍वंय समय समय पर करते रहना है एंव नाभी के खिसक जाने पर उसे अपने स्‍थान पर कैसे लाना है । मैने यह उपचार स्‍वंय कई दिनों तक सुबह खाली पेट किया, मुक्षे कुछ ही दिनों में लाभ समक्ष में आने लगा । इसके अर्श्‍चयजनक परिणामों को देख मैने निर्णय लिया कि मै स्‍ंवय इसका अध्‍ययन करूंगा एंव गरीब निर्धन व्‍यतियों की नि:शुल्‍क सेवा करूंगा । इसलिये इनके द्वारा चलाये जाने वाले निशुल्‍क कोर्स में मैने प्रवेश लेकर इसका अध्‍ययन शुरू कर दिया, जो नि:शुल्‍क कई प्रकार के चिकित्‍सा सम्‍बन्धित कोर्स का संचालन  इमेल के माध्‍यम से पाठय सामग्री भेज कर करती है ।  मैने चीनी शॉग एंव नाभी स्‍पदन से रोग निदान का प्रशिक्षण प्राप्‍त कर, इस चिकित्‍सा की सेवाये दे रहा हूं ।
                                               दिनेश पाठक रतलाम म0प्र0
 समाधान- आप ने ची नी शॉग एंव नाभी स्‍पंदन से रोग निदान का प्रशिक्षण हमारे यहॉ से प्राप्‍त कर मरीजों का निशुल्‍क उपचार कर रहे है इसके लिये हमारा साधुवाद स्‍वीकार हो ।
                                               प्रकाशक
                                                       
प्रश्‍न 2:- मुक्षे इस बात की खुशी है कि छात्रों की जानकारी व अनुभावों एंव शंका समाधान हेतु अनुभाव एंव समाधान कालम का प्रकाशन किया जा रहा है । नि:शुल्‍क कोर्स जो स्‍थानीय कई समाजसेवीय संस्‍थाओं द्वारा संचालित किये जा रहे है । इससे पहले यह नि:शुल्‍क कोर्स केवल दिल्‍ली द्वारा ही संचालित होते थे , पहले कम्‍प्‍यूटर व नेट आदि की सुविधाये, उपलब्‍ध नही थी , इस लिये दिल्‍ली की प्रमुख संस्‍था ने स्‍थानीय समाज सेवीय संस्‍थाओं के साथ मिलकर सन 2008 में इस नि:शुल्‍क कोर्स का तीन तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन प्रारम्‍भ किया था , जिसमें छात्रों को पाठय सामग्रीयॉ नि:शुल्‍क उपलब्‍ध कराने में बडी असुविधा होती थी, साथ ही संस्‍था को यह व्‍यय स्‍वंय उठाना पडता था । परन्‍तु अब कम्‍प्‍यूटर एंव नेट सुविधाओं की वजह से  छात्रों को मेल एडेस एंव ब्‍लागर साईड से जोडकर विषय सामग्री उन तक उनके मेंल एडेस से भेजना अत्‍यन्‍त सुविधाजनक हो गया है , साथ ही इससे न तो संस्‍था को धन व्‍यय करना होता है । छात्र अपनी सुविधानुसार इस पत्राचार कोर्स का अध्‍ययन घर पर ही कर सकते है एंव जब कभी उन्‍हे सुविधा मिलती है या उनके नगर में या आस पास नि:शुल्‍क प्रशिक्षण कैम्‍प का आयोजन होता है उनमें वह भाग लेकर इसका प्रयौगिग प्रशिक्षण का लाभ उठा सकते है । मैने इस संस्‍था द्वारा संचालित ब्‍युटी क्‍लीनिक ,ची नी शॉग ,होम्‍योपंचर ,एंव नेवल एक्‍युपंचर का पत्राचार कोर्स किया एंव इस संस्‍था में स्‍थानीय समन्‍वयक हूं ।  
                                               सुबोध कान्‍त सिंह पटना बिहार
समाधान- आप ने यह नही बतलाया कि आप किस राज्‍य या नगर के समन्‍वयक है ।  
                                                  प्रकाशक
प्रश्‍न 3- मुक्षे यह जानकार बडी प्रसंन्‍ता हुई है कि आप के द्वारा संचालित नि:शुल्‍क कोर्स में पाठय सामगी , ब्‍लागर साईड एंव आप की अन्‍य साईड पर एक अनुभव व समाधान कालम का प्रकाशन किया जा रहा है ।इस अनुभव कालम में छात्रों एंव मरीजों के उपचार परिणामों को लेख ,फोटोग्राफ, वीडिया के माध्‍यम से प्रकाशित किया जायेगा । इससे छात्रों ,जनसामान्‍य को आप के द्वारा संचालित विभिन्‍न उपचार पद्यतियों की जानकारी के साथ उपचार परिणामों की जानकारी होगी ।
  पूर्व में नि:शुल्‍क कोर्स कई लेखकों के नाम से भी प्रकाशित हुऐ है ,परन्‍तु हिन्‍दी भाषीय क्षेत्र हेतु हिन्‍दी में पाठय सामग्रीयों का प्रकाशन कम ही हुआ है । आप से अनुरोध है कि सर्वश्रेष्‍ट अनुभवों के लेखक , फोटोग्राफ ,एंव वीडियोंग्राफी जो छात्रों हेतु विषयों को समक्षने में सहयोगी हो उन्‍हे प्रोत्‍साहित किया जाये । एंव इस अनुभव कालम में मरीजों व छात्रों की समस्‍याओं का  समाधान भी किया जाये ।                
                                                 डॉ0के0बी0सिंह
समाधान आप के सुक्षाव हमेशा हमारे लिये सहयोगी रहा है । हम आप के सुक्षाओं से सहमत है आप ने सुक्षाव दिया है कि हम इस कालम में अनुभवों के साथ समाधान कालम का भी प्रकाशन करे एंव विषय से सम्‍बन्धित लेखों का प्रकाशन लेखक के नाम से करे । इस सम्‍बन्‍ध में हम कहना चाहेगे कि समाधान हो या विषय से सम्‍बन्धि लेखों के बारे में हो हमने लेखको के नाम्‍ा से ही प्रकाशित किया है आप के भी बहुत से लेख हमने आप के नाम से ही प्रकाशित किया है । हिन्‍दी भाषा में हमे कम लेख प्राप्‍त होते है परन्‍तु जब कभी भी जो भी लेख अपने लेख हमे भेजता है हम उसे उसी के नाम से प्रकाशित करते रहे है और आगे भी ऐसा ही होगा जो छात्र या लेख हमे विषयों से सम्‍बन्धित लेख ,सुक्षाओ ,समाधान ,या अपने अनुभाव हमे भेजेगा उसे हम उसी के नाम से ही प्रकाशित करेगे । अच्‍छे लेख वीडियों ,तथा फोटोग्राफ को प्रोत्‍साहित करेगे एंव वार्षिक परिक्षा में उसके लेखों के मूल्‍याकंन के आधार पर उसे अतरिकत अंक दिये जायेगे साथ ही प्रमाण पत्र भी प्रदाय किया जायेगा ।
                                                      प्रकाशक
 प्रश्‍न 4 - आप के द्वारा अनुभाव एंव समाधान कालम का प्रकाशन किया जा रहा है इसके लिये हमारा साधुवाद स्‍वीकार हो । मै ब्‍यूटी पार्लर चलाती हूं परन्‍तु इसमें आय कम थी परन्‍तु जैसे ही मैने ब्‍यूटी क्‍लीनिक की ब्रांच के कुछ कोर्स जैसे बी गम ,नीशेप ,पिर्यसिंग ,कपिंग,ची नी शॉग उपचार आदि , आप के यहॉ से पत्राचार के माध्‍यम से किया एंव इसकी सुविधाये हमने अपने पार्लस में उपलब्‍ध कराई अब मेरा पार्लर जो पहले धाटे में चल रहा था अब एक लाभ का व्‍यवसाय बन गया है  । मै यह जानना चाहती हूं कि आप के यहॉ से मेल पर जो अध्‍ययन सामग्री भेजी जाती है वह कभी कभी अन्‍य ईमेल एडेस से प्राप्‍त होती है इसी प्रकार ब्‍लागर की जानकारीयॉ भी अन्‍य साईडों से प्राप्‍त हो रही है । कभी कभी फोन आदि करने पर भी जानकारी नही मिल पाती ।
                                           ज्‍योति मौर्या इंदौर म0प्र0
समाधान- आप का प्रश्‍न सही है इसका कारण यह है कि हमारे द्वारा संचालित कोर्स स्‍थानीय समन्‍वयकों द्वारा संचालित होते है । इसलिये हमारे ईमेल से जुडते ही हम उस छात्र की जानकारी, उसका मेल एडेस तथा फार्म आदि स्‍थानीय समन्‍वयक को दे देते है ताकि वह इस कोर्स से सम्‍बन्धित जानकारीयॉ अपने छात्रों को समय समय पर देता रहे दुसरी बात हमारे फोन नम्‍बरों पर चर्चा इसलिये नही की जा सकती क्‍योंकि छात्रों की संख्‍या अधिक है सभी का फोन पर जबाब देना संभव नही है इसीलिये बार बार अनुरोध किया जाता है कि आप केवल हमारे मेल एडस पर ही अपनी समस्‍या भेजे । ब्‍लागर साईड भी हमसे जुडे छात्रों व समन्‍वयों ने अपनी अपनी बनाई है ताकि सम्‍बन्धित विषयों की जानकारी ,लेख, वीडियों ,तथा फोटोग्राफ छात्रों को समय समय पर मिलती रहे ।  
                                                  प्रकाशक
     प्रश्‍न 5 - मै गरिमा बाधवानी उम्र 27 वर्ष लखनउ से एक समस्‍या के समाधान हेतु लिख रही हूं और मुझे पूरी उम्‍मीद है कि आप मेरी समस्‍या को हल करेगे । मै एक कलाकार हूं टी0बी0 सीरियल में भी काम किया है । मैने साउथ व कुछ भोजपूरी फिल्‍मों में भी छोटे मोटे रोल किये है । जैसा कि आप सभी जानते है कि आज कल मांडलिंग का जमाना है और हम नये महिला कलाकारों में सौन्‍द्वर्य ही सब कुछ है ा मै सुन्‍दर हूं मेरी लम्‍बाई भी ठीक है ।परन्‍तु मेरी समस्‍या यह है कि मेरा पेट मर्दो की तरह अधिक चिपका हुआ है । वैसे मै एकहरे बदन की हूं । परन्‍तु न तो अधिक मोटी हूं न ही अधिक दुबली । परन्‍तु मेरा पेट मर्दो की तरह दिखता है मेरी नाभी भी कम गहरी इससे मेरे पेट का आर्कषण महिलाओं की तरह नही है । कई बार इसकी बजह से मुझे फिल्‍मों से निकाला भी गया है । साउथ भोजपुरी फिल्‍मों में गहरी नाभी एंव स्‍त्री की तरह मुलायम पेट का अधिक महत्‍व है । मैने प्‍लास्टिक सर्जरी कराने की सोची है । आप के उपचारों में इस तरह का उपचार है क्‍या   
                                              गरिमा बाधवानी लखनउ उ0प्र0
  समाधान- आप का प्रश्‍न सही है आजकल फिल्‍म ,टेलीवीजन , मॉडलिंग यहॉ तक की सामान्‍य स्‍त्रीयों में गहरी नाभी एंव कोमल उदर क्षेत्र का महत्‍व अत्‍याधिक बढ गया है चूंकि स्‍त्रीय सुलभ आर्कषण में समतल पेट पर गहरी नाभी के होने से कोमलांगनी कही जाने वाली स्‍त्रीयों का सौन्‍र्द्धय कई गुना बढ जाता है मर्दो की तरह से  सक्‍त पेट फिर उस पर किसी जख्‍म की तरह या सकरी कम गहरी नाभी हो तो स्त्रीय सुलभ आर्कषण अपने आप कम हो जाता है एंव स्‍त्रीयों में जो कोमलता का बोध होना चाहिये वह नही होता । पेट को कोमल आर्कषक ,कपिंग उपचार से किया जाता है एंव नाभी को गहरा आर्कषक शेप नी शेप उपचार विधि के नेवेल कार्क को लगा कर किया जाता है । सकरी नाभी को आकार में चौडा करने के लिये नाभी के अन्‍दर नेवल स्प्रिंग लगाई जाती है । आप इसकी जानकारी  इस साईड http://beautyclinict.blogspot.in/
beautyclinic.blogspot.com
neeshep.blogspot.com 
पर नीशेप कलीनिक ,आर्टिक एंव वीडियो देखे आप को इसकी जानकारी हो जायेगी । यदि आप अपना ई मेल एडेस हमे भेजते है तो हम इससे सम्‍बन्धित जानकारी आप को मेल कर सकते है ।                             
                      
                                                       प्रकाशक
       प्रश्‍न 6 - मै जानना चाहता हूं कि आप के यहॉ कितने प्रकार के नि:शुल्‍क कोर्स का
     संचालन किया जाता है और यह किस प्रकार से होता है । मुक्षे जानकारी
     मिली है कि यह पत्राचार कोर्स है फिर इसका प्रे‍क्‍टीकल नालेज कैसे होगा
     चूंकि आप के कोर्स अधिकाशंत: प्रयौगिक प्रशिक्षण पर निर्भर करता है ।
                                   सुनीता अतुरकर मुम्‍बई
समाधान- आप ने सही कहॉ , हमारे सम्‍पूर्ण कोर्स प्रयौगिक प्रशिक्षणों पर ही  
        निर्भर करते है । इसीलिये हम जो पाठय सामग्री अध्‍ययन हेतु भेजते
        है उसका उद्वेश केवल इतना है कि पहले छात्र सैद्धान्‍तिक विषयों
        का अध्‍ययन धर पर अच्‍छी तरह से कर ले इसके बाद हमारे
        नि:शुल्‍क प्रशिक्षण कैम्‍प जहॉ भी लगते है उसमें प्रयौगिक प्रशिक्षण
       प्रशिक्षणा दिया जाता है चूंकि पहले सैद्धान्‍तिक विषयों के अध्‍ययन से
      छात्र पूरी तरह से तैयार हो जाता है । हमारे द्वारा संचालित निम्‍न
      कोर्स है ।
1-ब्‍युटी क्‍लीनिक- जिसमें सौन्‍र्द्धर्य समस्‍याओं के निदान की तकनीकी सिखलाई जाती है इसकी निम्‍न ब्रांच है बी गम थैरापी ,कपिंग उपचार, पिर्यसिंग , नीशेप उपचार, टैटू , होम्‍युपंचर , ची नी शॉग आदि ।
2- ची नी शॉग उपचार
3- नेवल एक्‍युपंचर
4- एक्‍युपंचर
5-ची नी शॉग
6-नाभी स्‍पंदन से रोगों की पहचान एंव निदान
7-उपतारामण्‍डल परिक्षण द्वारा रोगों की पहचान एंव निदान
8-होम्‍योपंचर
9-इलैक्‍टो होम्‍योपैथिक
उक्‍त कोर्स में प्रवेश लेने हेतु आप हमारे ईमेल  battely2@gmail.com पर आवेदन कर सकते है एंव घर बैठे इस कोर्स का अध्‍ययन कर सकते ,हमारे सम्‍पूर्ण कोर्स पूरी तरह से निशुल्‍क है ।
                                             प्रकाशक


प्रश्‍न 7- मैने सुना है कि आप के यहॉ से ब्‍युटी पार्लर से सम्‍बन्धित एडवासं कोर्स का निशुल्‍क संचालन होता है । क्‍या यह कोर्स पत्राचार से भी किया जा सकता है । इसके करने से क्‍या लाभ है                                       प्रतिसिंह पंजाब

समाधान- आप को मै यह बतलाना चाहूंगा कि ब्‍युटी पार्लर एंव हमारे द्वारा चलाये जाने वाले ब्‍युटी क्‍लीनिक में जमीन आसमान का अन्‍तर है । ब्‍युटी पार्लर में केवल साज श्रृगार का काम होता है । परन्‍तु ब्‍युटी क्‍लीनिक में सौन्‍र्द्धर्य समस्‍याओं का उपचार किया जाता है जैसे एक निश्‍चित उम्र के बाद भी स्‍त्रीयों में स्‍त्रीय सुलभ अंगों का विकास न होना , या अत्‍याधिक मोटापा ,बालों का सफेद होना या झडना , मस्‍से ,मुंहासे, त्‍वचा का रंग बदलना या बदरंग का होना आदि आदि और भी कई प्रकार की समस्‍याये है जिनका चिकित्‍सकीय निदान इस विधि से होता है । ब्‍युटी क्‍लीनिक की कई शाखाये है
  आज के समय में घर घर से लेकर गली चौराहो में ब्‍युटी पार्लर के खुल जाने से इस ब्‍यवसाय में लाभ कम है यह ब्‍यवसाय अब एक धाटे का सौदा बन गया है । परन्‍तु ब्‍युटी क्‍लीनिक के जानकारों का भारत में केवल चार महानगरों को छोड कर बेहद कमी है । इसलिये इसकी जानकारी होते इसका नेटवर्क बिना किसी प्रचार प्रसार के बनने लगता है । जैसे एक उदाहरण हम यहां पर आप को समक्षने के लिये देना चाहेगे । ब्‍युटी पार्लर में अनावश्‍यक बालों को निकालने के लिये बैक्‍स किया जाता है जो काफी र्ददनाक प्रक्रिया है परन्‍तु ब्‍यूटी क्‍लीनिक में बी गम की सहायता से शरीर के अनावश्‍यक बालों को जड़ से बिना र्दद के आसानी से निकाल दिया जाता है । ठीक इसी प्रकार आप सभी जानते है कि हर सम्‍प्रदाय में बच्‍चीयों के नाक कान छिदवाये जाते है और यह काम सोनार की दुकानों में होता आया है । नाक कान को सुनार के द्वारा छेदना एक तो असुरक्षित है फिर संक्रामण का डर बना रहता है धॉव पकते फूटते है, ब्‍युटी क्‍लीनिक की पिर्यसिंग शाखा के अर्न्‍तगत शरीर के किसी भी हिस्‍से में छेद सुरक्षित तरीके से इस प्रकार किया जाता है कि संक्रमण की संभावना नही रहती धॉव भी पकते नही है, इसके साथ इसका सबसे बडा फायदा यह है कि शरीर में छेद इस प्रकार से किया जाता है कि पता ही नही चलता चूंकि वहां की त्‍वचा को पूरी तरह से शुन्‍य कर दिया जाता है । यह तो मात्र दो उदाहरण है, इसी प्रकार के और भी उदाहरण है । यदि बालों को निकालने में या नाक कान या शरीर के अन्‍य हिस्‍सों को छेदने में र्दद नही होगा तो हर ग्राहक आपके पास आयेगा एंव दूसरों को आप की जानकारी देगा इससे आप का नेटवर्क अपने आप बनने लगेगा । आज के फैशनपरास्‍ती युग में युवाओं में टैटू ,एंव पिर्यसिंग कराने का प्रचलन तेजी से बढा है , छोटे शहरों में इसके जानकारों का अभाव होने से ऐसे युवा बडे शहरों की तरफ भागते है फिर इन कामों का परिश्रमिक मुंह मांगा मिलता है । आप इससे सम्‍बन्धित अन्‍य जानकारी हेतु हमारे मेल पर सम्‍पर्क कर सकते है हम पूरी जानकारी आप को आप के मेल पर भेज देगे चूंकि पूरी जानकारी इस समाधान कालम में देना संभव नही है
                                                        प्रकाशक
प्रश्‍न 8- मैने सुना है कि नाभी स्‍पंदन से रोग की पहचान आसानी से की जा सकती है एंव नाभी के स्‍पंदन को यथास्‍थान लाकर बीमारीयों का उपचार किया जाता है । मुझे पेट में र्दद रहता है भूंख नही लगती , गैस बनती है जिससे सीने में र्दद होता है खटटी डकारे भी आती है , मैने एलोपैथिक ,आयुवेदिक ,होम्‍योपैथिक सभी उपचार करा लिया है परन्‍तु कुछ भी लाभ नही हुआ । क्‍या  नाभी स्‍पंदन उपचार से मेरी बीमारी की समस्‍या का हल हो सकता है ।
मुझे नाभी स्‍पंदन चिकित्‍सक का पता भी देने का कष्‍ट करे ।
                                                अल्‍का सुहाने बडोदरा
समाधान- नाभी स्‍पंदन से रोगो की पहचान एंव बीमारीयों का उपचार सफलता पूर्वक किया जा रहा है । इसके आर्श्‍चयजनक परिणम मिले है । आप को हमारी सलाह है कि आप नाभी चिकित्‍सक या ची नी शॉग चिकित्‍सक से अपना उपचार कराये आपको निराशा नही होगी । बडोदरा में डॉ0 मनोज खत्त्री जी दोनो विषयों के अच्‍छे ज्ञाता है ।
                                                   प्रकाशक

प्रश्‍न- नीशेप उपचार क्‍या है नेवल स्‍प्रीग एंव नेवल कार्क क्‍या है । क्‍या इससे नाभी को गहरा आकृषक शेप दिया जा सकता है वो भी बिना किसी नुकसान के । क्‍या मै इस कोर्स को कर सकती हूं इसका प्रेक्‍िटिकल नालेज के लिये मुझे कहॉ जाना होगा ।
                                               अनिता खरे बिलासपुर म0प्र0
समाधान- नीशेप उपचार में नाभी को गहरा आकृषक शेप दिया जाता है । नीशेप में अब पेट को स्‍लीम आकृषक स्‍त्रीय सुलभ बनाया जाने लगा है । इस कोर्स का अध्‍ययन घर बैठे पत्राचार से किया जा सकता है । इसके प्रेक्‍िटिकल नालेज हेतु जब भी कही निशुल्‍क कैम्‍प लगते है उसमें आमंत्रित कर इस का प्रेक्‍िटिकल नालेज आप ले सकती है । कैम्‍प की जानकारी हमारे निशुल्‍क कोर्स में प्रवेश लेने पर समय समय पर बतला दी जाती है । नेवेल स्प्रिंग नाभी के साईज की एक स्‍टीललैस स्‍टील की स्प्रिंग होती है इसे सकरी नाभी को चौडा गोल बनाने के लिये किया जाता है इसे नाभी के अन्‍दर डालकर छोड दिया जाता है जैसे ही स्प्रिंग को नाभी के अन्‍दर दबाव देकर छोडते है इससे स्प्रिंग दबाब के कम होते ही अपने स्‍वाभाविक रूप में आ जाती है । इससे नाभी के अन्‍दर की त्‍वचा पर दबाब डाल कर नाभी को चौडे आकार में गोल बना देती है । नेवेल कार्क नाभी की साईज का कार्क है जिसे नाभी के अन्‍दर डालने से नाभी गहरी गोल हो जाती है । इसकी विस्‍तृत जानकारी हेतु आप अपना ईमेल एडेस भेज हम सम्‍पूर्ण जानकारी आप को मेल कर देगे ।
                                                    प्रकाशक
                                                                                   प्रश्‍न :- आप के यहॉ से जो नि:शुल्‍क कोर्स चल रहे है, उनके पंजियन होते है क्‍या इन कोर्स को करने के बाद क्‍या हम प्राईवेट प्रेक्टिस कर सकते है । आप के यहॉ से कौन कौन से कोर्स चलते है कृपया जानकारी देने का कष्‍ट करे ।
                                    डॉ0 दया राम भारती पटना विहार
समाधान :- हमारे यहॉ के कुछ कोर्स है,
1- वे सभी प्राकृतिक चिकित्‍सा पर आधारित कोर्स है इन का पंजियन किसी भी शासकीय निकाय द्वारा नही किया जाता यह प्राकृतिक उपचार विधि पर आधारित होने पर इस पर किसी प्रकार का कानून लागू नही होता यह एक सरल उपचार विधि है , इसे कोई भी कर सकता है एंव इसके आशानुरूप परिणाम मिलते है । हमारे यहॉ से होम्‍योपै‍थिक ,आयुर्वेद , यूनानी एंव एलौपै‍थिक चिकित्‍सकों ने भी इस प्राकृतिक कोर्स को किया है एंव इसके सुखद परिणामों की वजह से वे काफी खुश है ।
2-हमारे यहॉ के कुछ कोर्स जैसे एक्‍युपंचर , इलैक्‍ट्रो होम्‍योपैथिक , होम्‍योपंचर , आदि के नि:शुल्‍क कोर्स हम केवल आप के नालेज हेतु संचालित करते है एंव इसके अघ्‍ययन के बाद आप किसी भी बोड्र से अपना पंजियन करा सकते है या प्रवेश लेकर अध्‍ययन कर सकते है इसमें हमे किसी प्रकार की आपत्‍ती नही है । चूंकि हम सारे कोर्स नि:शुल्‍क चलाते है यदि आप कही भी इसका अध्‍ययन करना चाहे या पंजियन कराना चाहे तो आप उनके मार्गर्दशन में कर सकते है हमारा काम केवल आप को इन विषयों में दक्षता प्रदान करना है ।
हमारे यहॉ के कुछ  हमारे यहॉ के नि:शुल्‍क कोर्स की जानकारीयॉ इसी कालम में दी गयी है वहॉ से आप जानकारी प्राप्‍त कर सकते है ।
3-कुछ कॉलेज व बोर्ड को हमसे यह अपत्ति है कि हम इस प्रकार के कोर्स न चलाये क्‍योकि इसका प्रभाव उनके शिक्षण संस्‍थाओं एंव बोड्र पर पडता है । परन्‍तु हमारा उनसे निवेदन है कि हम किसी प्रकार का काम्‍प्‍टीशन नही कर रहे है और न ही हम किसी से किसी प्रकार की फीस या पैसे ले रहे है । हमारा कार्य वैकल्‍पिक ऐसे चिकित्‍सा  जो लुप्‍त हो रही है एंव उसके आशानुरूप परिणाम मिल रहे है तो क्‍यो ना हम इस प्रकार की चिकित्‍सा पद्धति का प्रचार प्रसार करे ।
                                                         प्रकाशक