गुरुवार, 15 नवंबर 2018

नाभी की बनावट हिलमोजी साईस -1


                  नाभी की बनावट हिलमोजी साईस
विश्‍व प्रचलित अनेक चिकित्‍सा पद्धतियों में रोग परिक्षण के कई तरीके सदियों से अपनी उपयोगिता , वैज्ञानिक प्रमाण तथा मान्‍यताओं के कारण प्रचलन में रहे है । इनमें से एक है शारीरिक बनावट उनके अंगों के उनका आकार प्रकार तथा रंग शरीर पर निशान धारीयों की बनावट आदि ।
बीमारीयॉ हो या रोग आगमन शरीर में परिवर्तन सामान्‍य बात है जिसे चिकित्‍सक आसानी से पहचान जाते है । ठीक इसी प्रकार से जब कभी शरीर में कोई रोग होता है तो शरीर के कई अंगों में परिवर्तन देखा जाता है जैसे पीलिया होने पर नाखून व ऑख में पीलापन दिखलाई देता है । जैसे आयुर्वेद में वात पित कफ की बीमारीयों में जीभ के रंग के परिवर्तन से चिकित्‍सक उसकी बीमारी को पहचान लेते है आधुनिक चिकित्‍सक भी ऑखों के व जीभ नाखून के रंग में परिवर्तन से बहुत सी बीमारीयों को आसानी से पहचान लेते है । नाभी चिकित्‍सक सदियों से नाभी की बनावट उसके आकार प्रकार तथा नाभी पर पाई जाने वाली धारीयों व उसकी बनावट से कई प्रकार के रोगों को आसानी से पहचान लेते है , जापानीज,एंव चाईनीज प्राकृतिक चिकित्‍सा पद्धतियों में नाभी की धारीयों से रोगों का परिक्षण एंव भावी होने वाले रोग के विषय में जानकारीयॉ प्राप्‍त की जाती रही है , जो आधुनिक चिकित्‍सा विज्ञान के लिये एक पहेली बना हुआ है । सदियों से विश्‍व प्रचलित चिकित्‍सा पद्धतियों में नाभी के परिक्षण उसकी बनावट तथा धारीरयों के परिक्षण से रोगों का पता लगाया जाता रहा है ।
   Helum हिलम याने गढठा या छिद्र इसे hilus भी कहते है । यह शरीर में किसी धॉव या छेद की तरह से दिखलाई देती है अकसर इस प्रकार की नाभी गरीब तबके के व्‍यक्तियों में पाई जाती है ,
जिनकी शारीरिक बनावट दुबलापन लिये होता है , इस प्रकृति का मरीज  वात रोगी होता है इनका शरीर दुबला पतला होता है, शरीर दुर्बल होने पर भी ये लोग खाने पीने में आगे होते है । शारीरिक बनावट अकसर सामान्‍य होती है । इन्‍हे पेट से सम्‍बन्धित बीमारीयॉ कम ही होती है , परन्‍तु शारिरीक पीडाये तथा वात रोग के साथ बबासीर ,कैसर एंव दमा तथा टी बी जैसी बीमारीयों की चपेट में ये लोग आसानी से आ जाते है । इनका रहन सहन गंदा होता है अत: इन्‍हे त्‍वचा रोग खॉज खुजली अकसर होती है । इनकी मानसिक दशाये भी विचित्र हुआ करती है , रहन सहन गन्‍दा , एंव ये अल्‍प बुद्धी के होते है । पागलपन एंव मानसिक तनाव इन्‍हे अधिक होता है ।   
 Ridge रिजिस रिजिस या धारीयॉ जो शरीर में प्राय: हाथ पैरों पर पाई जाती है परन्‍तु यह शरीर के अन्‍य भागों में भी पाई जाती है । जिस प्रकार किसी भी मनुष्‍य के हाथ की धारीयॉ एक दूसरे से नही मिलती ठीक उसी प्रकार नाभी धारीयॉ भी किसी भी व्‍यक्यों में एक सी नही होती । नाभी धारीयों से कई प्रकार की
बीमारीयों के संकेत मिलते है , नाभी धारीयॉ जिस ओर बढती है उस तरफ के पेट पर पाये जाने वाले अंतरिक अंग प्रभावित होते है एंव उससे सम्‍बन्धित बीमारीयॉ होती है । यह शरीर में एक धारी से लेकर कई धारीयॉ पाई जाती एक धारियों को पहचान कर बीमारी का पता लगाना आसान होता है परन्‍तु दो से अधिक धारियों के पाये जाने पर बीमारीयों को पचानना कठिन होता है । इस प्रकार की धारीयों की पहचान जों धारिया गहरी होती है वही वर्तमान रोग को र्दशाती है तथा कम गहरी धारीयॉ नये व कम गंभीर रोग को र्दशाते है । नाभी धारीयों के मध्‍य रंग के परिक्षण से भी बीमारीयों का अनुमान लगाया जाता है , तथा नाभी धारीयों के मध्‍य पाई जाने वाली गंध से भी कई प्रकार की बीमारीयों का अनुमान लगाते है
 Helix हिलेक्‍स इसकी बनावट पेचदार या धुमती हुई आकृति की होती है । Apex शीर्ष अपेक्‍स की बनावट नोक के समान या शीर्ष की तरह से उठी हुई होती है । इस तरह की नाभी  डण्‍टल की तरह ऊपर को निकली हुई होती है , यह प्राय: गरीब तबके के व्‍यक्तियों में पाई जाती है ऐसे व्‍यक्ति प्राय: देखने में असुन्‍दर तथा स्‍वार्थी प्रवृति के होते है गंदगी पसंद होने के कारण इनका स्‍वाभाव भी निम्‍न स्‍तरीय होता है । इन्‍हे प्राय: श्‍वास तथा हिदय रोग व त्‍वचा रोग पाचन दोष के साथ अकस्मिक घातक रोग हुआ करते है
Umbo गाठ यह प्राय: गाठों की तरह की अकृति की होती है । इस प्रकार की नाभी गहरी न हो कर उपर निकली हुई गाठ की तरह से दिखती है । जितनी भी नाभीयों की बनावट में ऊपर को उठी हुई नाभीयॉ होती है सभी असमान्‍य होती है एंव इन्‍हे गंदगी पसंद होने के कारण त्‍वचा रोग, मानसिक रोग, तनाव,पेट से सम्‍बन्धित बीमारीयॉ अधिक होती है । इस के विपरीत यदि नाभी गहरी है तो व्‍यक्ति सुन्‍दर स्‍वक्‍क्षता में ध्‍यान रखने वाला तथा उसे चर्मरोग आदि कम ही होते है जितनी नाभी गहीरी होती है व्‍याक्ति उतना दीर्ध जीवी एंव स्‍वस्‍थ्‍य होता है ।
Nodeगाठ यह भी  Umbo की तरह फूला हुआ भाग होता है । इस प्रकार की नाभी वाले व्‍यक्ति Umbo की ही तरह होते है

Arch धूमती हुई आकृति शरीर का कोई भी गाठ या छेद्र प्राय: जो धुमाव लिये हुऐ आकृति का होता है उसे आर्च कहते है । इस प्रकार की नाभी अपनी बनावट के कारण व्‍यक्तियों के स्‍वाभाव तथा उसके आकार के अनुसार रोग को र्दशाते है इसके परिक्षण में काफी सावधानी की आवश्‍यकता होती है । आर्च के धुमते भाग का जहॉ पर अन्‍त होता है एंव वह पेट के जिस अंतरिक अंग की तरफ इसारा करता है व्‍यक्ति को उसी अंग से सम्‍बन्धित बीमारीयॉ हुआ करती है । आर्च आकृति यदि गहराई की तरफ है तो गहरी नाभी के जो लक्षण होते है वही इसमें भी पाये जाते है ठीक इसी प्रकार ऊपर को उठती हुई आर्च आकृति है तो ऊपर को उठी नाभी के जो लक्षण होगे वही लक्षण इसमें पाये जायेगे ।
Deep डीप या गहराई ऐसी नाभी जो किसी गडडे की तरह से गहरी होती है उसे डीप या गहरी नाभी कहते है । इस प्रकार की नाभी प्राय: सुन्‍दर स्‍त्री पुरूषों में होती है गहरी नाभी के व्‍यक्ति प्राय:
बीमार तो कम पडते है परन्‍तु ये अत्‍यन्‍त संवेदनशील होने के कारण छोटी से छोटी बीमारीयों को बढ चढ कर बतलाते है । प्राय: ऐसे व्‍यक्ति अपनी बीमारी के प्रति तो सर्तक रहते है परन्‍तु स्‍वास्‍थ्‍य रहने हेतु जो उपाय करना है उसे नही करते । इन्‍हे अकसर हिदय रोग ,गैस की बीमारी , हुआ करती है परन्‍तु इसका निर्णय नाभी की गहराई के साथ उस पर पाई जाने वाली धारीयों व रेखाओं व  उसकी बनावट से भी किया      जाता है ।
आई शेप( ऑखों की आकृति ):- इस प्रकार की नाभी अधिक गहरी नही होती परन्‍तु इसकी आकृति को ध्‍यान से देखने पर ऐसा लगता है जैसे
ऑखों का आकार हो । इस प्रकार ऑखों की अकृति वाली नाभी भी दो प्रकार की होती है । एक में ऑखों के आकार के अन्‍दर धारीयॉ स्‍पष्‍ट रूप से दिखलाई देती है तो दूसरे प्रकार की नाभी में धारीयॉ नही दिखती इस प्रकार की नाभी गहरी होती है ।
          






 :-पेट पर पाये जाने वाले अंतरिक अंग :-
पेट पर पाये जाने वाले अंतरिक अंगों की स्थिति का चित्र देखिये एंव वर्णप हेतु ची नी शॉग उपचार का अध्‍ययन कीजिये ।












नाभी संवेदना उपचार


                           नाभी संवेदना उपचार
 
सुखानुभूति उपचार से मानसिक रोगों का उपचार :- चीन व जापान एंव अब तो यह कहने में किसी प्रकार का संकोच नही है कि संमृद्धशाली राष्‍ट्रों में सुखानुभूति उपचार काफी फल फूल रहा है । सुख के अनुभव से कई प्रकार के मानसिक रोगों का उपचार किया जा सकता है जिसमें पागलपन, हिस्‍टीरिया, मिरगी, तनाव, हत्‍या,या आत्‍महत्‍या का विचार, फोबिया ,आदि से लेकर अब तो शारीरिक बीमारीयों का उपचार भी किया जाने लगा है एंव इसके आशानुरूप परिणाम भी सामने आ रहे है । सुख के अनुभव से हमारे शरीर में सेरोटोनिन एंव डोपामाइन हार्मोस सक्रिय होते है, इससे हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है ।अब सवाल उठता है कि सुखानुभूति उपचार कैसे किया जाये । मनोवैज्ञानिकों ने पाया कि हमारे शरीर की छोटी से छोटी कोशिकाओं में सुख की अनुभूति को ग्रहण करने की क्षमता है ,इस ग्रहण किये जाने वाली अनुभूति को वह मस्तिक को भेजता है । जिससे भावनात्‍मक हार्मोंस सेरोटोनिन एंव डोपामाइन सक्रिय हो जाते है । इस उपचार प्रक्रिया में शरीर के सबसे संवेदन शील हिस्‍से को सहलाया जाता है जिसमें प्रमुख रूप से नाभी है क्‍योकि नाभी में 72000 नाडीयों का केन्‍द्रक पाया जाता है । इस छोटी सी नाभी को सहलान के लिये किसी बारीक बस्‍तु का प्रयोग किया जाता है एंव पूरे पेट पर पक्षियो के पंख से सहलाया जाता है  । जापान व चीन में पक्षियों के पंख एंव पेंसिल जैसी नुकीली वस्‍तु को धीरे धीर महिन स्‍पर्श कराया जाता है तथा रोगी को ऑख बन्‍द कर सोने का आदेश दिया जाता है रोगी नाभी के अन्‍दर हो रहे स्‍पर्श की संवेदना को महशूस करता है एंव उसे सुख की अनुभूति होती है भावनात्‍मक हार्मोस के सक्रिय होते ही वह अनन्‍द में खोता चला जाता है । मानसिक रोगीयो में जो मानसिकता उसके मस्तिष्‍क में स्‍टोर होती है वह इस सुखानुभूति की वजह से धीरे धीरे लुप्‍त होने लगती है । इस आनन्‍द की अनुभूति पुराने स्‍टोर को खत्‍म कर देती है एंव नयी इस आनन्‍द की अनुभूति उसके मस्तिष्‍क में स्‍टोर हो जाती है इससे उसके शरीर मे एक तो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ जाती है । वह इस उपचार के बाद अपने आप को स्‍फूर्तिवान , तरोताजा महसूस करने लगता है । पहले उसे जो शिकायेते थी जैसे तनाव ,भूख न लगना ,चिडचिडापन , किसी भी प्रकार का डर , हिस्‍टीरिया ,मिर्गी ,पागलपन ,हत्‍या या आत्‍महत्‍या का विचार , कामचोरी की प्रवृति , याददास्‍त का कम होना ,आदि में इस उपचार से काफी लाभ होता है ।
मानसिक बीमारीयॉ ही नही बल्‍की शारीरिक कई प्रकार की बीमारीयों में इसके बडे ही अच्‍छे परिणाम देखने को मिल रहे है । इस उपचार को नाभी संवेदना उपचार भी कहॉ जाता है ।    
H:\BC-वर्ष 2018-19\N- Chikitsa\N-चिकित्‍सा\N-SuKhnubhuti Upchar Osho.doc


व्‍यर्थ सी दिखने वाली नाभी का महत्‍व


                 व्‍यर्थ सी दिखने वाली नाभी का महत्‍व
  आज मुख्‍यधारा की मॅहगी चिकित्‍सा उपचार के भंवरजाल से परेशान जन सामान्‍य एक ऐसी प्राकृतिक उपचार विधि की शरण में जा रहा है जिसे हम सभी  नाभी चिकित्‍सा के नाम से जानते है इसकी उपयोगिता एंव आशानुरूप परिणामों ने इसे  विश्‍व के हर कोने में चर्चा का विषय बना दिया है । परन्‍तु नाभी चिकित्‍सा हमारे देश की धरोहर है इसके महत्‍व को हम न समक्ष सके परन्‍तु विदेशी बौद्य भिक्षु ने इसके महत्‍व को समक्षा बिना दवा दारू के प्राकृतिक तरीके से रोगों को पहचानना ,एंव उपचार के आशनुरूप परिणामों ने इसे जापान व चीन में ची नी शॉग उपचार के नाम से स्‍थापित किया । नाभी चिकित्‍सा विश्‍व के हर कोने में किसी न किसी नाम से प्रचलन में है ।
    मानव शरीर में व्‍यर्थ सी दिखने वाली नाभी , हमारे रोज मर्ज के बोल चाल की भाषा में कई बार ना भी शब्‍द का उपयोग होते हुऐ भी, इस शब्‍द का महत्‍व उसी तरह से लुप्‍त प्राय: है जैसा कि हमारे शरीर में व्‍यर्थ सी दिखने वाली नाभी का है । नाभी ना अर्थात नही , भी अर्थात हॉ के सम्‍बोधन से मिलकर बना एक ऐसा शब्‍द है जिसका अर्थ ना और हॉ मे होता है ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार से नाभी हमारे शरीर का एक महत्‍वपूर्ण अंग होते हुऐ भी जन सामान्‍य इसे अनुपयोगी समक्षता है ऐसे व्‍यक्ति इसके प्रथम अक्षर ना का प्रतिनिधित्‍व करने वाले है । इसके दूसरे अक्षर भी अर्थात हॉ के सम्‍बोधन का प्रतिनिधित्‍व करने वाला समुदाय जिनकी संख्‍या अगुलियों पर गिनी जा सकती है इसके महत्‍व को समक्षता है । हम प्राय: अपने बोल चाल की भाषा में कहते है, ना भी जाओं तो चलेगा , ना भी हो तो चलेगा आदि आदि ऐसे वाक्‍य है जिसमें नाभी शब्‍द का कई बार उपयोग हम अंजाने में कर जाते है परन्‍तु अंजाने में किये गये इस धारा प्रवाह वाक्‍य का कितना महत्‍व है इस पर कभी विचार ही नही किया जाता , ठीक इसी प्रकार से हमारे शरीर में दिखने वाली व्‍यर्थ सी नाभी को हम प्राय: महत्‍व नही देते जबकि आज मुख्‍यधारा की चिकित्‍सा पद्धतियों के नये शोध व परिक्षणों ने यह बात सिद्ध कर दी है कि स्‍टैम्‍प सैल्‍स अर्थात नाभी की कोशिकाओं से कई असाध्‍य से असाध्‍य बीमारीयों का उपचार किया जा सकता है चिकित्‍सा विज्ञान का माना है कि बच्‍चे का जन्‍म इन्‍ही स्‍टैम्‍म सैल्‍स से होता है इन स्‍टम्‍म सैल्‍स के पास शरीर के विभिन्‍न अंगों के निर्माण की सूचना संगृहित होती है एंव ये छोटी से छोटी कोशिकाये अपनी संसूचना के अनुरूप शरीर के विभिन्‍न अंगों का निर्माण करती है । जैसे कोई हडियों का सैल्‍स है तो उसे हडियों का निर्माण करना है यदि किसी सेल्‍स के पास यह जानकारी है कि उसे शरीर का कोई विशिष्‍ट अंग का निर्माण करना है तो वह उसी अंग का निर्माण करेगा ।
  सदियों पूर्व से हमारे भारतवर्ष में परम्‍परागत उपचार विधियों में , नाभी से उपचार की कई बाते देखने को मिल जाती है परन्‍तु दु:ख तो इस बात का है कि ऐसी जानकारीयॉ एक जगह पर संगृहित नही है चंद जानकार व्‍यक्तियों ने इसे अपने धन और यश का साधन बना रखा था एंव उनके जाने के बाद यह जानकारी उनके साथ चली गयी । यहॉ पर मै कुछ उदाहरणों पर प्रकाश डालना चाहूंगा जो इसके महत्‍व को र्दशाते है । जैसे ओठों के फटने पर हमारे बडे बुर्जुग कहॉ करते थे नाभी पर सरसों का तेल लगा लो इससे ओठ नही फटेगे , पेशाब का न होने पर नाभी में चूहे की लेडी लगाने से पेशाब उतर जाती है , गर्भवति महिला को प्रशव में अधिक पीडा होने पर दाई अधाझारे की जड नाभी पर लगा देती थी , इससे प्रसव आसानी से बिना किसी तकलीफ के हो जाया करता था , ऐसे और भी कई उदाहरण हमे देखने को मिल जाते है । इसी प्रकार का एक उदाहरण और है जिसका प्रयोग चीन व जापान की परम्‍परागत उपचार विधि में सौन्‍र्द्धय समस्‍याओ के निदान में‍ किया जा रहा है इसमें नाभी के अन्‍दर जमा मैल को रेक्‍टीफाईड स्‍प्रीट में निकाल कर इसका प्रयोग उसी मरीज की त्‍वचा पर करने से त्‍वचा स्निंग्‍ध मुलायम चमकदार हो जाती है साथ ही शरीर पर झुर्रीयॉ व त्‍वचा के दॉग धब्‍बे ठीक हो जाते है ,उनका कहना है कि इसके नियमित प्रयोग से त्‍वचा में निखार के साथ रंग साफ गोरा होने लगता है । खैर जो भी हो, नाभी के महत्‍व को नकारा नही जा सकता । हमारे प्राचीन आयुर्वेद चिकित्‍सा पद्धति में कहॉ गया है कि नाभी पर 72000 नाडीयॉ होती है । नाभी पर मणीपूरण चक्र पाया जाता है इसकी साधना से असीम शक्तियॉ प्राप्‍त की जा सकती । नाभी चिकित्‍सा हमारे देश की धरोहर थी, परन्‍तु इसे हम सम्‍हाल न सके , मुख्‍यधारा की चिकित्‍सा पद्धतियों ने तो इसे अवैज्ञानिक एंव तर्कहीन कहॉ परन्‍तु , हमारा पढा लिखा सभ्‍य समाज जो पश्चिमोन्‍मुखी विचारधारा के अंधानुकरण का अनुयायी था उसने भी बिना इसकी उपयोगीता को परखे इसे महत्‍वहीन कहना प्रारम्‍भ कर दिया । इसी का परिणाम है कि आज मुख्‍यधारा की चिकित्‍सा पद्धतियों के भवर जाल में उलझ कर मरीज इतना भ्रमित हो चुका है कि उसे यह समक्ष में नही आता कि उपचार हेतु किस चिकित्‍सा की शरण में जाये । पश्चिमोन्‍मुखी विचारधारा के अंधानुकरण ने कई जनोपयोगी, उपचार विद्याओं को अहत ही नही किया बल्‍की उनके अस्तित्‍व को भी खतरे में डाल रखा है । स्‍वस्‍थ्‍य, दीर्ध,आरोग्‍य जीवन एंव रोग उपचार हेतु सदियों से चली आ रही उपचार विद्याओं का सहारा लिया जाता रहा है और इसके सुखद एंव आशानुरूप परिणाम भी मिले है । परन्‍तु दु:ख इस बात का है कि इन उपयोगी उपचार विधियों पर न तो हमने कभी शोध कार्य किया न ही इसकी उपयोगिता को परखने का दु:साहस किया । नाभी उपचार प्रक्रिया से कई उपचार विधियों का सूत्रपात समय समय पर हुआ है जैसे चीन व जापान की एक ऐसी परम्‍परागत उपचार विधि है जिसमें बिना किसी दवादारू के मात्र नाभी एंव पेट के आंतरिक अंगों को प्रेशर देकर मिसाज कर उसे सक्रिय कर जटिल से जटिल रोगों का उपचार सफलतापूर्वक किया जा रहा है । इस उपचार विधि का नाम है ची नी शॉग उपचार यह उपचार विधि भी हमारे देश की नाभी चिकित्‍सा की देने है हमारे यहॉ नाभी परिक्षण कर टली हुई नाभी को यथास्‍थान लाकर उपचार किया जाता रहा है इस उपचार विधि में भी इसी सूत्र का पालन किसी न किसी रूप में किया जाता है अत: हम कह सकते है कि ची नी शॉग उपचार विधि हमारे देश की ही देन है जिसे जापान व चीन के भिझुओं ने समक्षा व इसे अपने साथ ले गये तथा एक नये नाम से इस उपचार विधि ने चीन व जापान में अपना एक अलग स्‍थान बनाया । ची नी शॉग उपचार विधि से रोग उपचार के साथ शरीर की सर्विसिंग भी की जाती है आज कल फाईब स्‍टार होटलो में पेट की जो मिसाज प्रक्रिया शरीर की सर्विसिंग व पेट को स्‍वस्‍थ्‍य रखने के लिये की जा रही है वह वह यही उपचार विधि है । ची नी शॉग पार्लर भी तेजी से खुलते जा रहे है । नाभी उपचार में नेवल एक्‍युपंचर एंव नेवल होम्‍योपंचर की भी एक अहम भूमिका है चूंकि एक्‍युपंचर चिकित्‍सा में संम्‍पूर्ण शरीर में हजारों की संख्‍या में एक्‍युपंचर पाईट पाये जाते है इन एक्‍युपंचर पाईट को खोजना उपचारकर्ता के समक्‍क्ष एक बडी समस्‍या होती है फिर शरीर के कुछ ऐसे नाजुक अंग जिन पर सूईया चुभाना कठिन कार्य है इसी प्रकार होम्‍योपैथिक में हजारों की संख्‍या में होम्‍योपैथिक की शक्तिकृत दवाये होती है जिसका निर्वाचन रोग लक्षणों के हिसाब से करना चिकित्‍सको के लिये कठिन कार्य होता है । होम्‍योपैथिक एंव एक्‍युपंचर की साझा चिकित्‍सा को होम्‍योपंचर उपचार कहते है । नेवेल एक्‍युपंचर चि‍कित्‍सा में नाभी के आस पास शरीर के सम्‍पूर्ण एक्‍युपंचर पाईट पाये जाते है इस लिये नेवेल एक्‍युपंचर में नाभी पर एंव नाभी के आसपास एक्‍युपंचर की बारीक सूईयों को चुभा कर उपचार किया जाता है इसे नेवेल एक्‍युपंचर उपचार कहते है यह एक्‍युपंचर चिकित्‍सा से काफी सरल एंव आशानुरूप परिणाम देने वाली उपचार विधि है । नेवेल होम्‍योपंचर चिकित्‍सा में नाभी एंव नाभी के आस पास डिस्‍पोजेबिल बारीक निडिल में होम्‍योपैथिक की कुछ गिनी चुनी दवाओं को निडिल में भर कर नाभी एंव नाभी के आस पास क्षेत्र में चुभा कर उपचार किया जाता है । नेवल एक्‍युपंचर हो या नेवल एक्‍युपंचर हो इस चिकित्‍सा पद्धति का मानना है कि नाभी पर सम्‍पूर्ण शरीर के पाईन्‍ट पाये जाते है जैसा कि हमारे आयुर्वेद में भी कहॉ गया है कि नाभी पर 72000 नाडीयॉ पाई जाती है इन 72000 नाडीयों का सम्‍बन्‍ध हमारे सम्‍पूर्ण शरीर से होता है । नेवल एक्‍युपंच में येन यॉग को आधार मानकर तीन चार दवाये बनाई गयी है जिनको डिपोजेबिल न‍िडिल में भर कर नाभी के धनात्‍मक .ऋणात्‍मक पाईन्‍ट पर चुभा कर जटिल से जटिल रोगों का उपचार सफलतापूर्वक किया जाता है । नेवल एक्‍युपंचर एंव नेवेल होम्‍योपंचर चिकित्‍सा एक सरल उपचार विधि है इस उपचार विधि से समस्‍त प्रकार के रोगो का उपचार आसानी से किया जाता है ।  
    नाभी चिकित्‍सा एंव ची नी शॉग उपचार, नेवेल एक्‍युपंचर ,नेवल होम्‍योपंचर से
1- सौन्‍द्धर्य समस्‍याओं का उपचार :- सौन्‍द्धर्य समस्‍याओं का उपचार जैसे पेट पर स्‍ट्रेचमार्क ,ब्‍लैक हैड , उम्र से पहले त्‍वचा पर झुरूरीयॉ , बालों का असमय सफेद होना या गिरना ,स्‍त्रीयों के स्‍त्रीय सुलभ अंगों का विकसित न होना , बौनापन , अत्‍याधिक दुबलापना ,अनावश्‍यक मोटापा ,स्‍त्रीयों के शरीर में अनावश्‍यक बालों का निकलना, त्‍वचा पर दॉग धब्‍बे, त्‍वचा पर झुरू आदि जैसे अनेको समस्‍याओं का उपचार इन चिकित्‍सा पद्धतियों से किया जा सकता है ।
2-शारीरिक रोग :- नाभी चिकित्‍सा एंव ची नी शॉग उपचार, नेवेल एक्‍युपंचर ,नेवल होम्‍योपंचर से पेट सम्‍बन्धित रोग, हिदय रोग,मिर्गी, हिस्‍टीरिया, दमा एंव श्‍वास रोग, कैंसर ,किडनी के रोग ,पथरी , गले के रोग ,तथा अन्‍य विकृति विज्ञान से सम्‍बन्धित समस्‍ये आदि के साथ समस्‍त प्रकार की बीमारीयों में यह उपचार विधि काफी उपयोगी है
 जो भी चिकित्‍सक इन चिकित्‍सा विधियों को सीखना चाहे वह हमारे ई मेल पर हमे सूचित कर सीख सकता है । इसकी सारी जानकारीयॉ हम नि:शुल्‍क मेल पर भेजते है इसका अध्‍ययन घर बैठे करने के पश्‍चात इसका प्रेक्टिकल प्रशिक्षण भी नि:शुल्‍क उपलब्‍ध कराया जाता है । अत: जो भी चिकित्‍सक नेवल एक्‍युपंचर या नेवल होम्‍योपंचर सीखने का इक्‍च्‍छुक हो वह हमारे मेल पर या जो साईड बतलाई गयी है उससे जानकारीयॉ प्राप्‍त कर सकता है । नाभी उपचार या ची नी शॉग चिकित्‍सा जो भी व्‍यक्ति सीखने का इक्‍च्‍छुक हो वह हमारे बतलाये मेल या साईड पर जा कर जानकारीयॉ प्राप्‍त कर सकता है ।
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