रविवार, 3 जून 2018

सुलभ नाभी उपचार


                           सुलभ नाभी उपचार

चिकित्‍सा जैसा पुनित कार्य आज एक व्‍यवसाय बन चुका है इसके लिये हम मरीज स्‍वयम जबाबदार है क्‍योकि जब तक हमें चिकित्‍सकों द्वारा परिक्षण व उपचार के बडे बडे परचे नही पकडा दिये जाते हमे विश्‍वास ही नही होता । आज से पहले भी कई उपचार विधियॉ प्रचलन में थी परन्‍तु मुख्‍य धारा से जुडी चिकित्‍सा पद्धतियों के वार्चस्‍व की वजह से सस्‍ती सुलभ उपचार विधियॉ लुप्‍त होती चली गयी और बची खुची कसर इस चिकित्‍सा पद्धतियों के जानकारों ने इसे अवैज्ञानिक एंव तर्कहीन कह कर पूरी कर दी । इसके पीछे भी कई कारण एंव हमारी अपनी मानसिकता भी जबाबदार रही है । यदि आप से कोई कहे की इस बिमारी का उपचार बिना किसी दबादारू के हो जायेगा तो आप विश्‍वास नही करेगे क्‍योकि आपको तो बडे बडे डॉ0 के बडे बडे परिक्षणों एंव उपचार की लत लग चुकी है । चलों हम मान लेते है कि बडे बडे डॉ0 के उपचार से आप ठीक हो जायेगे परन्‍तु कभी कभी बडे से बडा डॉ0 भी जिस बीमारी का उपचार नही कर सकते उसे परम्‍परागत उपचारकर्ता आसानी से ठीक कर देते है इस प्रकार के कई उदाहरण भरे पडे है । मुक्षे अच्‍छी तरह से ज्ञात है हमारे पडोस में एक महिला के पेट में र्दद रहता था उसका उपचार बडे से बडे डॉ0 द्वारा किया जा रहा था परन्‍तु उसे किसी भी प्रकार का आराम नही मिल रहा था । चूंकि मरीज एक मध्‍यम वर्गीय परिवार से था उपचार  मे अत्‍याधिक खर्च होने की वजह से घर का खर्च चलाना मुस्‍किल हो गया था इसलिये उन्‍होने उपचार कराना बन्‍द कर शासकीय चिकित्‍सालय में जो दबाये मिलती थी उसी पर निर्भर रहना शुरू कर दिया था इस उपचार से उसे कुछ तो राहत मिल जाती थी परन्‍तु जैसे ही दबाओं का असर कम होने लगता था र्दद पुन: चालू हो जाता था । एक दिन वह महिला उसी महिला के पास गई जिसने उपचार से पूर्व कहॉ था कि हम आप के पेट के र्दद को नाभी के स्‍पंदन को यथास्‍थान बैठा कर ठीक कर देगे और आप की बीमारी ठीक हो जायेगी । परन्‍तु उस महिला के पति ने मना कर दिया था एंव बडी बडी चिकित्‍सालयों में उसका उपचार चला परन्‍तु किसी प्रकार का लाभ न होने पर एंव आर्थिक‍ि रूप से परेशान होने के बाद उसे उस महिला की याद आई तो उसने सोचा कि चलों इसे ही दिखला दिया जाये । उस बूढी महिला ने उसकी नाभी के स्‍पंदन को देखा जो टली हुई थी महिला ने उसके पेट पर तेल लगा कर पेट का मिसाज कर नाभी स्‍पंदन को यथास्‍थान बैठालने का प्रयास किया परन्‍तु रोग पुराना होने के कारण नाभी स्‍पंदन अपनी जगह पर ठीक से बैठ नही रही थी इसलिये उसने नाभी पर एक जलता हुआ दिया रखा फिर उपर से खाली लोटे को रखा इससे लोटे पर वेक्‍युम के कारण लोटा पेट पर चिपक गया एंव खिसकी हुई नाभी अपनी जगह पर आ गयी । इस उपचार से महिला के पेट का र्दद कम तो हो गया परन्‍तु पूरी तरह से ठीक नही हुआ था इसलिये उसने कच्‍चे छोटे छोटे सात नीबूओं को फ्रिजर में रखवाया एंव दूसरे दिन एक एक नीबूओं को सीधे लेट कर नाभी पर रखते जाने की सलाह दी एंव यह उपचार नियमित रूप से सात दिनों तक करने से वह महिला पूरी तरह से रोगमुक्‍त हो गयी । अब आप ही विचार किजिये यदि उस महिला ने पहले या बडे बडे डॉ0 के उपचार के साथ ही यह उपचार करा लिया होता तो वह इतना परेशान न होती । अब इसी उपचार को वैज्ञानिक तरीके से देखा जाये तो यहॉ पर उस महिला के पेट के अंतरिक अंग सुसप्‍तावस्‍था में आ गये थे चूंकि किसी भी प्रकार की बीमारी के पूर्व शरीर के अंतरिक अंग पहले सुसप्‍तावस्‍था में आते है जो अपना सामान्‍य कार्य या तो कम करते है या फिर कभी कभी सामान्‍य अवस्‍था की अपेक्षा तीब्रता से करने लगते है दोनो अवस्‍थाओं में रोग की उत्‍पति होती है । प्राकृतिक रूप से किसी भी प्रकार के रोग होने पर शरीर स्‍वयम उसके उपचार की प्राकृतिक व्‍यवस्‍था करता है , जिस जगह पर किसी भी प्रकार की बीमारी होती है शरीर पहले वहॉ की समस्‍त आवश्‍यकताओं की पूर्ति बढा देता है ठीक उसी प्रकार जैसे किसी शहर में कोई अपदा या अनहोनी की स्थिति में शासन उस शहर को सवेदनशील घोषित कर समस्‍त आवष्‍यकताओं की पूर्ति करता है ठीक इसी प्रकार शरीर के किसी हिस्‍से में रोग होने पर शरीर अपनी तरफ से तो प्रयास करता है । परन्‍तु इस प्रक्रिया में पेट के मिसाज नाभी स्‍पंदन को यथास्‍थान लाने एंव वर्फ की तरह से ठंडे नीबूओ को नाभी पर लगातार रखने से शरीर के उस हिस्‍से में एक असमान्‍य घटना होती है एंव शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली इसके लिये सर्धष हेतु सजग हो कर प्रयास करने लगते है एंव शरीर समस्‍त आवश्‍यक पूर्तियॉ करने लगता है इसका सुखद परिणाम यह होता है कि उस रोगग्रस्‍त अंग को स्‍वस्‍थ्‍य होने के लिये समस्‍त आवश्‍यकताओं की पूर्तियॉ यथासमय हो जाती है एंव एक बार सुस्‍पतावस्‍था के अंग संचालित होते ही अपना यथेष्‍ट कार्य करने लगते है एंव रोग से मुक्‍त हो जाते है । नीबूओं का नाभी के ऊपर कर उपचार करने की विधि चीन व जापान की प्रकृतिक उपचार विधि है इससे पेट र्दद की समस्‍त प्रकार की बीमारीयों का एंव बॉझपन का उपचार सदियों से होता आया है एंव इसके बडे ही आर्श्‍चजनक एंव सुखद परिणाम मिले है ।

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