गुरुवार, 31 जनवरी 2019

नाभी की बनावट (हिलमोजी साईस)-2


                नाभी की बनावट (हिलमोजी साईस)
  
रोग निदान से पूर्व यह पता करना आवश्‍यक होता है कि रोगी को कौन सी बीमारी है , विभिन्‍न प्रकार की चिकित्‍सा पद्धितियों में रोगों की पहचान के अपने तरीके व सिद्धान्‍त है । नाभी चिकित्‍सा , आधुनिक चिकित्‍सा विज्ञान के पूर्व से ही नाभी चिकित्‍सा प्रचलन में थी एंव इसके सिद्धान्‍त प्राकृतिक चिकित्‍सा सिद्धान्‍तों के अनुरूप थे , नाभी चिकित्‍सा में प्राचीन चिकित्‍सा विज्ञान आयुर्वेद , तथा वैदिक सिद्धान्‍तों के कई महत्‍वपूर्ण सिद्धान्‍तो का समावेश है । इस रोग परिक्षण विधि में यह माना जाता है कि किसी बच्‍चे का सम्‍पर्क नाभी को काट कर जब मॉ से अलग कर दिया जाता है तब वह बच्‍चा प्राकृतिक एंव स्‍वयम अपनी जीवन ऊर्जा से संचालित होने लगता है ,जिसका असर उसकी शारीरिक बनावट उसके गठन आदि पर होता है जिसका प्रत्‍यक्ष प्रभाव नाभी पर होता है जैसे मॉ से बच्‍चे का सम्‍पर्क जैसे ही नाभी के काटने के बाद अलग होता है उस समय नाभी प्राकृतिक के सम्‍पर्क में आती है तथा बच्‍चे की स्‍वयम की जीवन ऊर्जा से उसकी नाभी का निर्माण प्रारम्‍भ होने लगता है यही एक नाभी विच्‍छेदन के पश्‍चात होने वाला पहला शारीरिक निर्माण है जिसमें नाभी के आकार उसकी धॉरीयों में जो परिवर्तन या इसे हम निर्माण भी कह सकते है यह दो सम्‍पर्क स्‍वयं की जीवन शक्ति तथा प्राकृतिक के सम्‍पर्क से होती है इसी नाभी के प्रारम्‍भ से लेकर मृत्‍यु तक जो जो परिवर्तन होते रहते है वह उस व्‍यक्ति के जीवन ऊर्जा , उसके व्‍यवहार , उसकी मानसिक स्थितियों आदि को स्‍पष्‍ट करता है जिसका वर्णन समुद्र शास्‍त्र जैसे ग्रन्‍थों में देखने को मिल जाते है । मनुष्‍य के शरीर के अंतरिक अंगों में परिवर्तन होने लगता है या फिर कभी कभी यह अपना अभीष्‍ट कार्य करने में असमर्थ हो जाते है या शरीर के रस रसायनों में असंतुलन होने लगता है तब व्‍यक्ति रोगों की चपेट में आने लगता है और यही परिवर्तन सर्वप्रथम नाभी पर उसकी बनावट या धारीयों में परिवर्तन के रूप में दिखलाई देता है । नाभी चिकित्‍सा विज्ञान में रोग निदान से पूर्व नाभी की बनावट धारीयों में परिवर्तन या नाभी स्पंदन के नाभी मध्‍य से हट जाने आदि से पता लगाया जाता है ।  चूंकि नाभी की बनावट ,नाभी धारीयों ,या नाभी की धारीयों के मध्‍य रंग परिवर्तन ,आदि की पहचान को हिलमोंजी सांइस कहते है ।
हिलमोंजी सांइस :- इसमें सर्वप्रथम नाभी की बनावट उसके विभिन्‍न्‍ा प्रकारों का अध्‍ययन किया जाता है तत्‍पश्‍चात शरीरि के अंतरिक अंगों के रोगग्रस्‍त होने पर नाभी की बनावट तथा उसकी धारीयों में जो परिवर्तन होते है उसका पता लगाया जाता है । शरीरिक रस रसायनों में जो परिवर्तन होते है जैसे शरीर का पी एच लेबिल की असमानता हो या हार्मोन्‍स की असमानता आदि ।  
नाभी के प्रकार :- मोटेतौर पर हम नाभी को मुख्‍यत: नाभी तीन प्रकारों में विभाजित कर सकते है ।
1-सतही नाभी जो पेट पर न तो गहरी होती है न ही उठी हुई इसे सतही नाभी कहते है
2-डण्‍टल की तरह ऊपर को उठी हुई नाभी
3-गहरी नाभी जो पेट के ऊपरी मसल्‍स से नीचे गढढे की तरह से होती है ।
विद्वानों के मतानुसार प्रमुखरूप से निम्‍ना प्रकार की नाभी पाई जाती है ।
  Ridge रिजिस रिजिस या धारीयॉ जो शरीर में प्राय: हाथ पैरों पर पाई जाती है परन्‍तु यह शरीर के अन्‍य भागों में भी पाई जाती है । जिस प्रकार किसी भी मनुष्‍य के हाथ की धारीयॉ एक दूसरे से नही मिलती ठीक उसी प्रकार नाभी धारीयॉ भी किसी भी व्‍यक्यों में एक सी नही होती । ऊपर की तरफ यदि रिजिस या धारी स्‍पष्‍ट दिखलाई दे तो समक्षे इस प्रकार के मरीज को मानसिक बीमारी हो सकती है । यदि यही धारी नाभी मध्‍य से निकल कर ऊपर की तरफ पेट पर पाये जाने वाले जिस अंतरिक अंग को टारगेट करे तो समक्षे उस मरीज को उसी अंतरिक अंग से सम्‍बन्धित बीमारी होगी  सभी नाभी धारीयों में या नाभी पर पाये जाने वाले रंगों का परिक्षण करना अवश्‍यक है


   Helum हिलम याने गढठा या छिद्र इसे hilus भी कहते है यह नाभी कम गहरी होती है परन्‍तु इसमें स्‍पष्‍ट रूप से धारीयॉ देखी जाती है जो नाभी मध्‍य से होती हुई नाभी वृत पर किसी एक छोर की तरफ निकलती है प्राय: इस प्रकार की नाभी की धारीयॉ शरीर के जिस ओर निकलती है उससे शरीर के कुछ आवश्‍यक अंगों को रोग पहचान हेतु टारगेट किया जाता है जैसे नाभी के मध्‍य से एक स्‍पष्‍ट धारी निकल कर सीधे ऊपर की तरफ के नाभी वृत के बीचों बीच निकली है तो इससे चिकित्‍सक को सर्वप्रथम हिदय फिर मस्तिष्‍क को टारगेट करना चाहिये । इसी प्रकार से यदि नाभी धारी एक ना होकर तीन है जैसे एक नाभी वृत के ऊपर की तरफ है तथा दो एक दाहनी ओर तथा एक बॉयी ओर है । इस प्रकार की धारीयों से रोग निदान के पूर्व आप को देखना होगा कि जो नाभी धारी गहरी एंव स्‍पष्‍ट है रोगी उसी तरफ के अंगों से सम्‍बन्धित बीमारीयॉ है तथा जो धारीयॉ जितनी कम गहरी व अस्पिष्‍ट है इसका अर्थ है अभी तो रोगी को कोई रोग नही है या जिस अंतरिक अंग की तरफ नाभी धारी का संकेत है वह रोग या तो कम है या भविष्‍य में हो सकता है 
 Helix हिलेक्‍स इसकी बनावट पेचदार या धुमती हुई आकृति की होती है । Apex शीर्ष अपेक्‍स की बनावट नोक के समान या शीर्ष की तरह से उठी हुई होती है । इस तरह की नाभी  डण्‍टल की तरह ऊपर को निकली हुई होती है । इसके रोगी को प्राय: नाभी धारीयों की तरह से धुमती हुई बीमारीयॉ होती है अर्थात कभी एक बीमारी होगी तो कभी दुसरी बीमारी होगी प्राय: इस प्रकार की धारीयों वाले मरीज कई बीमारीयों की चपेट में आते रहते है
Umbo गाठ यह प्राय: गाठों की तरह की अकृति की होती है । इस प्रकार की नाभी गहरी न हो कर उपर निकली हुई गाठ की तरह से दिखती है । एंव इस प्रकार की नाभी वाले व्‍यक्तियों को प्राय: गैस की बीमारीयॉ अधिक होती है । इसमें भी आप नाभी धारीयों की स्थिति‍ उसकी बनावट रंग आदि का परिक्षण करना चाहिये ।
Nodeगाठ यह भी  Umbo की तरह फूला हुआ भाग होता है । यह हार्निया ग्रस्‍त व्‍यक्तियों में या फिर गरीब तपके के लोगों में पाई जाती है इन्‍हे प्राय: गैस की शिकायते अधिक होती है इसनी विचारधारये संकीर्ण हुआ करती है । इस पर भी धारीयॉ पाई जाती है इसका बारीकी से अध्‍ययन करना आवश्‍यक है । 
 
Arch धूमती हुई आकृति शरीर का कोई भी गाठ या छेद्र प्राय: जो धुमाव लिये हुऐ आकृति का होता है उसे आर्च कहते है । इस प्रकार की धारीयों या बनावट पूरी Helix हिलेक्‍स से मिलती है ।  
Deep डीप या गहराई ऐसी नाभी जो किसी गडडे की तरह से गहरी होती है उसे डीप या गहरी नाभी कहते है । इस प्रकार की नाभी का परिक्षण बडी बारीकी से करना चाहिये क्‍योकि इस प्रकार की नाभी में भी धारीयॉ पाई जाती है साथ ही धारीयों के साथ कुछ परिवर्तन भी देखे जाते है उनमें नाभी के अन्‍दर छोटे बारीक निशान या नाभी मध्‍य सतह पर रंग परिवर्तन भी देखा जाता है । रंग परिवर्तन से भी बीमारीयों की स्थिति रस रसायन में परिवर्तन का पता लगाया जाता है । इस प्रकार की नाभी में कभी कभी नाभी धारीयॉ नाभी मध्‍य से निकल कर नाभी वृत तक या तो जाती है या कुछ लोगों में केवल नाभी के मध्‍य में ही देखी जाती है इसका बारीकी से अध्‍ययन करे एंव जिस ओर नाभी धारी की स्थिति हो उसी तरफ के शारीरिक या अंतरिक अंगों को टारगेट करना चाहिये ।
आई शेप( ऑखों की आकृति ):- इस प्रकार की नाभी अधिक गहरी नही होती परन्‍तु इसकी आकृति को ध्‍यान से देखने पर ऐसा लगता है जैसे ऑखों का आकार हो । इस प्रकार ऑखों की अकृति वाली नाभी भी दो प्रकार की होती है । एक में ऑखों के आकार के अन्‍दर धारीयॉ स्‍पष्‍ट रूप से दिखलाई देती है तो दूसरे प्रकार की नाभी में धारीयॉ नही दिखती इस प्रकार की नाभी गहरी होती है ।  इसका परिक्षण भी नाभी धारीयों की स्थिति एंव रंग परिवर्तन आदि को देख कर करना चाहिये ।



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