नाभी की बनावट हिलमोजी साईस
विश्व प्रचलित अनेक चिकित्सा
पद्धतियों में रोग परिक्षण के कई तरीके सदियों से अपनी उपयोगिता , वैज्ञानिक
प्रमाण तथा मान्यताओं के कारण प्रचलन में रहे है । इनमें से एक है शारीरिक बनावट
उनके अंगों के उनका आकार प्रकार तथा रंग शरीर पर निशान धारीयों की बनावट आदि ।
बीमारीयॉ हो या रोग आगमन शरीर में परिवर्तन सामान्य
बात है जिसे चिकित्सक आसानी से पहचान जाते है । ठीक इसी प्रकार से जब कभी शरीर
में कोई रोग होता है तो शरीर के कई अंगों में परिवर्तन देखा जाता है जैसे पीलिया
होने पर नाखून व ऑख में पीलापन दिखलाई देता है । जैसे आयुर्वेद में वात पित कफ की
बीमारीयों में जीभ के रंग के परिवर्तन से चिकित्सक उसकी बीमारी को पहचान लेते है
आधुनिक चिकित्सक भी ऑखों के व जीभ नाखून के रंग में परिवर्तन से बहुत सी
बीमारीयों को आसानी से पहचान लेते है । नाभी चिकित्सक सदियों से नाभी की बनावट
उसके आकार प्रकार तथा नाभी पर पाई जाने वाली धारीयों व उसकी बनावट से कई प्रकार के
रोगों को आसानी से पहचान लेते है , जापानीज,एंव चाईनीज प्राकृतिक चिकित्सा
पद्धतियों में नाभी की धारीयों से रोगों का परिक्षण एंव भावी होने वाले रोग के
विषय में जानकारीयॉ प्राप्त की जाती रही है , जो आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के
लिये एक पहेली बना हुआ है । सदियों से विश्व प्रचलित चिकित्सा पद्धतियों में
नाभी के परिक्षण उसकी बनावट तथा धारीरयों के परिक्षण से रोगों का पता लगाया जाता
रहा है ।
Helum हिलम – याने गढठा
या छिद्र इसे hilus भी कहते है । यह शरीर में किसी धॉव या छेद की तरह से दिखलाई देती है अकसर इस
प्रकार की नाभी गरीब तबके के व्यक्तियों में पाई जाती है ,
जिनकी शारीरिक बनावट दुबलापन लिये होता है , इस प्रकृति का मरीज वात रोगी होता है इनका शरीर दुबला पतला होता है, शरीर दुर्बल होने पर भी ये लोग खाने पीने में आगे होते है । शारीरिक बनावट अकसर सामान्य होती है । इन्हे पेट से सम्बन्धित बीमारीयॉ कम ही होती है , परन्तु शारिरीक पीडाये तथा वात रोग के साथ बबासीर ,कैसर एंव दमा तथा टी बी जैसी बीमारीयों की चपेट में ये लोग आसानी से आ जाते है । इनका रहन सहन गंदा होता है अत: इन्हे त्वचा रोग खॉज खुजली अकसर होती है । इनकी मानसिक दशाये भी विचित्र हुआ करती है , रहन सहन गन्दा , एंव ये अल्प बुद्धी के होते है । पागलपन एंव मानसिक तनाव इन्हे अधिक होता है ।
जिनकी शारीरिक बनावट दुबलापन लिये होता है , इस प्रकृति का मरीज वात रोगी होता है इनका शरीर दुबला पतला होता है, शरीर दुर्बल होने पर भी ये लोग खाने पीने में आगे होते है । शारीरिक बनावट अकसर सामान्य होती है । इन्हे पेट से सम्बन्धित बीमारीयॉ कम ही होती है , परन्तु शारिरीक पीडाये तथा वात रोग के साथ बबासीर ,कैसर एंव दमा तथा टी बी जैसी बीमारीयों की चपेट में ये लोग आसानी से आ जाते है । इनका रहन सहन गंदा होता है अत: इन्हे त्वचा रोग खॉज खुजली अकसर होती है । इनकी मानसिक दशाये भी विचित्र हुआ करती है , रहन सहन गन्दा , एंव ये अल्प बुद्धी के होते है । पागलपन एंव मानसिक तनाव इन्हे अधिक होता है ।
Ridge रिजिस –रिजिस या धारीयॉ जो शरीर में प्राय: हाथ
पैरों पर पाई जाती है परन्तु यह शरीर के अन्य भागों में भी पाई जाती है । जिस
प्रकार किसी भी मनुष्य के हाथ की धारीयॉ एक दूसरे से नही मिलती ठीक उसी प्रकार
नाभी धारीयॉ भी किसी भी व्यक्यों में एक सी नही होती । नाभी धारीयों से कई प्रकार
की
बीमारीयों के संकेत मिलते है , नाभी धारीयॉ जिस ओर बढती है उस तरफ के पेट पर पाये जाने वाले अंतरिक अंग प्रभावित होते है एंव उससे सम्बन्धित बीमारीयॉ होती है । यह शरीर में एक धारी से लेकर कई धारीयॉ पाई जाती एक धारियों को पहचान कर बीमारी का पता लगाना आसान होता है परन्तु दो से अधिक धारियों के पाये जाने पर बीमारीयों को पचानना कठिन होता है । इस प्रकार की धारीयों की पहचान जों धारिया गहरी होती है वही वर्तमान रोग को र्दशाती है तथा कम गहरी धारीयॉ नये व कम गंभीर रोग को र्दशाते है । नाभी धारीयों के मध्य रंग के परिक्षण से भी बीमारीयों का अनुमान लगाया जाता है , तथा नाभी धारीयों के मध्य पाई जाने वाली गंध से भी कई प्रकार की बीमारीयों का अनुमान लगाते है
बीमारीयों के संकेत मिलते है , नाभी धारीयॉ जिस ओर बढती है उस तरफ के पेट पर पाये जाने वाले अंतरिक अंग प्रभावित होते है एंव उससे सम्बन्धित बीमारीयॉ होती है । यह शरीर में एक धारी से लेकर कई धारीयॉ पाई जाती एक धारियों को पहचान कर बीमारी का पता लगाना आसान होता है परन्तु दो से अधिक धारियों के पाये जाने पर बीमारीयों को पचानना कठिन होता है । इस प्रकार की धारीयों की पहचान जों धारिया गहरी होती है वही वर्तमान रोग को र्दशाती है तथा कम गहरी धारीयॉ नये व कम गंभीर रोग को र्दशाते है । नाभी धारीयों के मध्य रंग के परिक्षण से भी बीमारीयों का अनुमान लगाया जाता है , तथा नाभी धारीयों के मध्य पाई जाने वाली गंध से भी कई प्रकार की बीमारीयों का अनुमान लगाते है
Helix हिलेक्स – इसकी बनावट पेचदार
या धुमती हुई आकृति की होती है । Apex शीर्ष – अपेक्स की बनावट नोक के समान या शीर्ष की तरह से उठी हुई होती है । इस
तरह की नाभी डण्टल की तरह ऊपर को निकली
हुई होती है , यह प्राय: गरीब तबके के व्यक्तियों में पाई जाती है ऐसे व्यक्ति
प्राय: देखने में असुन्दर तथा स्वार्थी प्रवृति के होते है गंदगी पसंद होने के
कारण इनका स्वाभाव भी निम्न स्तरीय होता है । इन्हे प्राय: श्वास तथा हिदय
रोग व त्वचा रोग पाचन दोष के साथ अकस्मिक घातक रोग हुआ करते है
Umbo गाठ – यह प्राय: गाठों की तरह की अकृति की होती है । इस प्रकार की नाभी गहरी न
हो कर उपर निकली हुई गाठ की तरह से दिखती है । जितनी भी नाभीयों की बनावट में ऊपर
को उठी हुई नाभीयॉ होती है सभी असमान्य होती है एंव इन्हे गंदगी पसंद होने के
कारण त्वचा रोग, मानसिक रोग, तनाव,पेट से सम्बन्धित बीमारीयॉ अधिक होती है । इस
के विपरीत यदि नाभी गहरी है तो व्यक्ति सुन्दर स्वक्क्षता में ध्यान रखने
वाला तथा उसे चर्मरोग आदि कम ही होते है जितनी नाभी गहीरी होती है व्याक्ति उतना
दीर्ध जीवी एंव स्वस्थ्य होता है ।
Nodeगाठ – यह भी Umbo की तरह फूला हुआ भाग होता है । इस प्रकार की नाभी वाले व्यक्ति Umbo
की ही तरह होते है ।
Arch धूमती हुई आकृति – शरीर का कोई
भी गाठ या छेद्र प्राय: जो धुमाव लिये हुऐ आकृति का होता है उसे आर्च कहते है । इस
प्रकार की नाभी अपनी बनावट के कारण व्यक्तियों के स्वाभाव तथा उसके आकार के
अनुसार रोग को र्दशाते है इसके परिक्षण में काफी सावधानी की आवश्यकता होती है ।
आर्च के धुमते भाग का जहॉ पर अन्त होता है एंव वह पेट के जिस अंतरिक अंग की तरफ
इसारा करता है व्यक्ति को उसी अंग से सम्बन्धित बीमारीयॉ हुआ करती है । आर्च
आकृति यदि गहराई की तरफ है तो गहरी नाभी के जो लक्षण होते है वही इसमें भी पाये
जाते है ठीक इसी प्रकार ऊपर को उठती हुई आर्च आकृति है तो ऊपर को उठी नाभी के जो
लक्षण होगे वही लक्षण इसमें पाये जायेगे ।
Deep डीप या गहराई – ऐसी
नाभी जो किसी गडडे की तरह से गहरी होती है उसे डीप या गहरी नाभी कहते है । इस
प्रकार की नाभी प्राय: सुन्दर स्त्री पुरूषों में होती है गहरी नाभी के व्यक्ति
प्राय:
बीमार तो कम पडते है परन्तु ये अत्यन्त संवेदनशील होने के कारण छोटी से छोटी बीमारीयों को बढ चढ कर बतलाते है । प्राय: ऐसे व्यक्ति अपनी बीमारी के प्रति तो सर्तक रहते है परन्तु स्वास्थ्य रहने हेतु जो उपाय करना है उसे नही करते । इन्हे अकसर हिदय रोग ,गैस की बीमारी , हुआ करती है परन्तु इसका निर्णय नाभी की गहराई के साथ उस पर पाई जाने वाली धारीयों व रेखाओं व उसकी बनावट से भी किया जाता है ।
बीमार तो कम पडते है परन्तु ये अत्यन्त संवेदनशील होने के कारण छोटी से छोटी बीमारीयों को बढ चढ कर बतलाते है । प्राय: ऐसे व्यक्ति अपनी बीमारी के प्रति तो सर्तक रहते है परन्तु स्वास्थ्य रहने हेतु जो उपाय करना है उसे नही करते । इन्हे अकसर हिदय रोग ,गैस की बीमारी , हुआ करती है परन्तु इसका निर्णय नाभी की गहराई के साथ उस पर पाई जाने वाली धारीयों व रेखाओं व उसकी बनावट से भी किया जाता है ।
आई
शेप( ऑखों की आकृति ):- इस प्रकार की नाभी अधिक गहरी नही होती
परन्तु इसकी आकृति को ध्यान से देखने पर ऐसा लगता है जैसे
ऑखों का आकार हो । इस प्रकार ऑखों की अकृति वाली नाभी भी दो प्रकार की होती है । एक में ऑखों के आकार के अन्दर धारीयॉ स्पष्ट रूप से दिखलाई देती है तो दूसरे प्रकार की नाभी में धारीयॉ नही दिखती इस प्रकार की नाभी गहरी होती है ।
ऑखों का आकार हो । इस प्रकार ऑखों की अकृति वाली नाभी भी दो प्रकार की होती है । एक में ऑखों के आकार के अन्दर धारीयॉ स्पष्ट रूप से दिखलाई देती है तो दूसरे प्रकार की नाभी में धारीयॉ नही दिखती इस प्रकार की नाभी गहरी होती है ।
पेट पर पाये जाने वाले अंतरिक अंगों की स्थिति
का चित्र देखिये एंव वर्णप हेतु ची नी शॉग उपचार का अध्ययन कीजिये ।