नाभी की बनावट (हिलमोजी साईस)
हिलमोंजी सांइस :- इसमें सर्वप्रथम नाभी की बनावट उसके विभिन्न्ा
प्रकारों का अध्ययन किया जाता है तत्पश्चात शरीरि के अंतरिक अंगों के रोगग्रस्त
होने पर नाभी की बनावट तथा उसकी धारीयों में जो परिवर्तन होते है उसका पता लगाया
जाता है । शरीरिक रस रसायनों में जो परिवर्तन होते है जैसे शरीर का पी एच लेबिल की
असमानता हो या हार्मोन्स की असमानता आदि ।
नाभी के प्रकार :- मोटेतौर पर हम नाभी को मुख्यत: नाभी तीन प्रकारों में
विभाजित कर सकते है ।
1-सतही नाभी जो पेट पर न तो गहरी होती है न ही उठी हुई इसे सतही नाभी
कहते है
2-डण्टल की तरह ऊपर को उठी हुई नाभी
3-गहरी नाभी जो पेट के ऊपरी मसल्स से नीचे गढढे की तरह से होती है ।
विद्वानों के मतानुसार प्रमुखरूप से निम्ना प्रकार की नाभी पाई जाती
है ।
Ridge रिजिस –रिजिस या धारीयॉ जो शरीर में प्राय: हाथ
पैरों पर पाई जाती है परन्तु यह शरीर के अन्य भागों में भी पाई जाती है । जिस
प्रकार किसी भी मनुष्य के हाथ की धारीयॉ एक दूसरे से नही मिलती ठीक उसी प्रकार
नाभी धारीयॉ भी किसी भी व्यक्यों में एक सी नही होती । ऊपर की तरफ यदि रिजिस या
धारी स्पष्ट दिखलाई दे तो समक्षे इस प्रकार के मरीज को मानसिक बीमारी हो सकती है
। यदि यही धारी नाभी मध्य से निकल कर ऊपर की तरफ पेट पर पाये जाने वाले जिस
अंतरिक अंग को टारगेट करे तो समक्षे उस मरीज को उसी अंतरिक अंग से सम्बन्धित
बीमारी होगी सभी नाभी धारीयों में या नाभी पर पाये जाने वाले रंगों का परिक्षण करना अवश्यक है
Helum हिलम – याने गढठा
या छिद्र इसे hilus भी कहते है यह नाभी
कम गहरी होती है परन्तु इसमें स्पष्ट रूप से धारीयॉ देखी जाती है जो नाभी मध्य
से होती हुई नाभी वृत पर किसी एक छोर की तरफ निकलती है प्राय: इस प्रकार की नाभी
की धारीयॉ शरीर के जिस ओर निकलती है उससे शरीर के कुछ आवश्यक अंगों को रोग पहचान
हेतु टारगेट किया जाता है जैसे नाभी के मध्य से एक स्पष्ट धारी निकल कर सीधे
ऊपर की तरफ के नाभी वृत के बीचों बीच निकली है तो इससे चिकित्सक को सर्वप्रथम
हिदय फिर मस्तिष्क को टारगेट करना चाहिये । इसी
प्रकार से यदि नाभी धारी एक ना होकर तीन है जैसे एक नाभी वृत के ऊपर की तरफ है तथा
दो एक दाहनी ओर तथा एक बॉयी ओर है । इस प्रकार की धारीयों से रोग निदान के पूर्व
आप को देखना होगा कि जो नाभी धारी गहरी एंव स्पष्ट है रोगी उसी तरफ के अंगों से
सम्बन्धित बीमारीयॉ है तथा जो धारीयॉ जितनी कम गहरी व अस्पिष्ट है इसका अर्थ है
अभी तो रोगी को कोई रोग नही है या जिस अंतरिक अंग की तरफ नाभी धारी का संकेत है वह
रोग या तो कम है या भविष्य में हो सकता है
Helix हिलेक्स – इसकी बनावट पेचदार या धुमती हुई आकृति की होती है । Apex शीर्ष – अपेक्स की बनावट नोक
के समान या शीर्ष की तरह से उठी हुई होती है । इस तरह की नाभी डण्टल की तरह ऊपर को निकली हुई होती है । इसके
रोगी को प्राय: नाभी धारीयों की तरह से धुमती हुई बीमारीयॉ होती है अर्थात कभी एक
बीमारी होगी तो कभी दुसरी बीमारी होगी प्राय: इस प्रकार की धारीयों वाले मरीज कई
बीमारीयों की चपेट में आते रहते है
Umbo गाठ – यह प्राय: गाठों की तरह की अकृति की होती है । इस प्रकार की नाभी गहरी न
हो कर उपर निकली हुई गाठ की तरह से दिखती है । एंव इस प्रकार की नाभी वाले व्यक्तियों
को प्राय: गैस की बीमारीयॉ अधिक होती है । इसमें भी आप नाभी धारीयों की स्थिति
उसकी बनावट रंग आदि का परिक्षण करना चाहिये ।
Nodeगाठ – यह भी Umbo की तरह फूला हुआ भाग होता है । यह हार्निया ग्रस्त व्यक्तियों में या
फिर गरीब तपके के लोगों में पाई जाती है इन्हे प्राय: गैस की शिकायते अधिक होती
है इसनी विचारधारये संकीर्ण हुआ करती है । इस पर भी धारीयॉ पाई जाती है इसका
बारीकी से अध्ययन करना आवश्यक है ।
Arch धूमती हुई आकृति – शरीर का कोई
भी गाठ या छेद्र प्राय: जो धुमाव लिये हुऐ आकृति का होता है उसे आर्च कहते है । इस
प्रकार की धारीयों या बनावट पूरी Helix हिलेक्स से मिलती है ।
Deep डीप या गहराई – ऐसी
नाभी जो किसी गडडे की तरह से गहरी होती है उसे डीप या गहरी नाभी कहते है । इस
प्रकार की नाभी का परिक्षण बडी बारीकी से करना चाहिये क्योकि इस प्रकार की नाभी
में भी धारीयॉ पाई जाती है साथ ही धारीयों के साथ कुछ परिवर्तन भी देखे जाते है
उनमें नाभी के अन्दर छोटे बारीक निशान या नाभी मध्य सतह पर रंग परिवर्तन भी देखा
जाता है । रंग परिवर्तन से भी बीमारीयों की स्थिति रस रसायन में परिवर्तन का पता
लगाया जाता है । इस प्रकार की नाभी में कभी कभी नाभी धारीयॉ नाभी मध्य से निकल कर
नाभी वृत तक या तो जाती है या कुछ लोगों में केवल नाभी के मध्य में ही देखी जाती
है इसका बारीकी से अध्ययन करे एंव जिस ओर नाभी धारी की स्थिति हो उसी तरफ के
शारीरिक या अंतरिक अंगों को टारगेट करना चाहिये ।
आई
शेप( ऑखों की आकृति ):- इस प्रकार की नाभी अधिक गहरी नही होती
परन्तु इसकी आकृति को ध्यान से देखने पर ऐसा लगता है जैसे ऑखों का आकार हो । इस
प्रकार ऑखों की अकृति वाली नाभी भी दो प्रकार की होती है । एक में ऑखों के आकार के
अन्दर धारीयॉ स्पष्ट रूप से दिखलाई देती है तो दूसरे प्रकार की नाभी में धारीयॉ
नही दिखती इस प्रकार की नाभी गहरी होती है । इसका परिक्षण भी नाभी धारीयों की स्थिति एंव रंग
परिवर्तन आदि को देख कर करना चाहिये ।